एक बार फिर याद आए
वो दोस्त
जिन्होंने बचपन में की थी मिलकर अनगिनत शरारतें और
किए थे साथ चलने के अनेकों वादे
सब छूट गए
कहीं पीछे,
दूर बहुत दूर
वो स्कूल की आख़िरी ट्रिप,
वो स्कूल के बेंच,
वो स्कूल की साइड वाली गली
कहीं छूट गए सब
लगे हुए हैं सब एक दूसरे को हराने में
दो पल का समय नहीं अब उनके पास
पुराने दोस्तों को याद करने में
मिलने का प्लान तो
बनाते हैं लेकिन स्कूल के बाद
मिले कभी नहीं
हां,यही सच्चाई है जो दो पल की
उन सब दोस्तों के साथ
जिन्होंने बचपन गुजारा है
एक साथ।
(आशीष ने इस रचना को राम लाल आनंद कॉलेज (डीयू) से लिख भेजा है। वो पत्रकारिता के छात्र हैं)
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