दिल्ली विश्वविद्यालय में यूजीसी विनियमन 2018 के संशोधन को लेकर बनी उच्च स्तरीय बैठक में शिक्षकों से संबंधित कई अहम निर्णय लिए गए। मंगलवार को हुई इस बैठक में 65 वर्ष पर सेवानिवृत्ति के बाद पुनर्नियुक्ति देने का फैसला लिया गया। साथ ही रेडबुक में अध्यादेश 11 व 12 बदलाव करके टर्म शब्द को सेमेस्टर से बदलने पर सहमति बनी। इसके बाद अब तदर्थ शिक्षकों को गर्मी की छुट्टियों का वेतन मिलने में आने वाली अड़चन दूर हो गई है।
उच्च स्तरीय कमेटी के सदस्य प्रो. हंसराज सुमन ने बताया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में सेमेस्टर प्रणाली लागू होने से पहले तीन टर्म में सत्र था और इसी के आधार पर गर्मी की छुट्टी का वेतन देने का प्रावधान किया गया था। इससे अब तदर्थ शिक्षकों के लिए एक बड़ी राहत मिली है। इसी प्रकार स्क्रीनिंग की कटऑफ कॉलेजिज के लिए 55 और विभागों के लिए 70 पॉइंट करने पर भी सहमति बनी है।
उन्होंने पिछले विनियमन (रेग्युलेशन) को तोड़ मरोड़कर लागू करने और कुछ खास लोगों को उसके द्वारा लाभ दिलाने का भी विरोध किया और कहा कि अगर 2014 में पुरानी योजना के अनुरूप पूरे समय के लिए प्राचार्य की नियुक्ति की गई तो शिक्षकों को 2014 तक पुरानी योजना (स्कीम) के तहत पदोन्नति क्यों नहीं दिया गया?
कमेटी के दूसरे सदस्य डॉ. रसाल सिंह ने बताया कि पदोन्नति की राह को और आसान बनाते हुए कॉलेजों में एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर पद के पदोन्नति के लिए डीन ऑफ कॉलेजिज की जगह उनके द्वारा नामित प्रोफ़ेसर को चयन कमेटी का सदस्य बनाने का निर्णय लिया गया है। इससे अलग-अलग कॉलेजों में एक साथ बहुत सारी चयन कमेटी पदोन्नति (प्रमोशन) प्रक्रिया शुरू कर सकेंगी। डीन ऑफ कॉलेजिज से समय न मिलने के अभाव में पदोन्नति का मुद्दा अधर में नहीं लटकेगा।
कमेटी के सदस्यों खासकर डॉ. गीता भट्ट ने एडहॉक शिक्षकों को स्क्रीनिंग से मुक्त रखने और नियुक्ति में अधिक महत्त्व देने की जोरदार वकालत की।
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