बचपन के दोस्त (कविता)
एक बार फिर याद आए वो दोस्त जिन्होंने बचपन में की थी मिलकर अनगिनत शरारतें और किए थे साथ चलने के अनेकों वादे सब छूट गए कहीं पीछे, दूर बहुत दूर वो स्कूल की आख़िरी…
एक बार फिर याद आए वो दोस्त जिन्होंने बचपन में की थी मिलकर अनगिनत शरारतें और किए थे साथ चलने के अनेकों वादे सब छूट गए कहीं पीछे, दूर बहुत दूर वो स्कूल की आख़िरी…
-आशीष नई दिल्लीः यह बहुत दुःखद बात है कि हमारे देश में आज भी लोगों की मौत सफ़ाई करने के दौरान हो रही है। देश में एक तरफ स्वछता की मुहिम चल रही है तो…
-आशीष हमारे देश में राजनीति के हालात दिन-प्रतिदिन ख़राब होते जा रहे हैं। ऐसी स्थिति की परिकल्पना शायद ही किसी ने की होगी। देश में जो कुछ राजनीति में चल रहा है वो बहुत ही…