-आशीष
नई दिल्लीः यह बहुत दुःखद बात है कि हमारे देश में आज भी लोगों की मौत सफ़ाई करने के दौरान हो रही है। देश में एक तरफ स्वछता की मुहिम चल रही है तो दूसरी तरफ मोती नगर का दर्दनाक हादसा सामने आ गया।
बता दें कि मोदीनगर में 5 मजदूरों की सीवर में उतरने से दम घुटकर मौत हो गई। पिछले साढ़े तीन सालों के दौरान दिल्ली में ऐसी 5-6 बड़ी घटनाएं हो चुकी हैं और करीब 50-60 सफाई कर्मचारी सीवर की सफाई करते हुए अपनी जान दे चुके हैं।
हमारा देश आज तकनीक में अपनी एक अलग भूमिका व पहचान रखता है। आज भारत की गिनती चाँद में कदम रखने वाले देशों में की जाती है। चाहे हम आज कितनी ही आगे क्यों न पहुँच गए हों लेकिन, देश में आज भी गटर साफ़ करते वक्त हमारे सफ़ाई कर्मचारियों की जान चली जाती है। यह एक चिंता का विषय है। दिल्ली सरकार ने इस पर रोक क्यों न लगा रखी हो, फिर भी ऐसे हादसों की संख्या बढ़ती जा रही है। इसका ज़िम्मेदार कौन है? ऐसा क्यों हो रहा है? तकनीकों से लैस होने के बाद भी आज ऐसे दिन देखने को मिल रहे हैं। बिना ऑक्सीजन के व बिना उपकरणों के कर्मचारियों को क्यों ऐसे कामों में धकेला जा रहा है जिसकी वजह से उन्हें अपनी जान गवानी पड़ रही है? यह कोई पहली घटना नहीं है लेकिन, पता नहीं क्या कारण है हम ऐसी दर्दनाक घटनाओं से सीख क्यों नहीं लेते? आज हमारे देश को भ्रष्टाचार ने अंदर से इतना खोखला कर दिया है कि भ्रष्टाचार के चलते इसकी क़ीमत ग़रीब लोगों को चुकानी पड़ रही है। ऐसी घटनाओं से अब सीख लेने की सख्त ज़रूरत है ताकि फिर कभी ऐसी घटनाएँ न घट सकें। इसी के साथ ही सरकार को भी इस ओर अपनी अहम भूमिका निभानी होगी व जागरूकता फैलानी होगी।
(लेखक राम लाल आनंद कॉलेज (डीयू) के छात्र हैं)
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