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यूजीसी विनियमन को लेकर बनी डीयू की उच्च स्तरीय कमेटी की आज बैठक में क्या कुछ होगा खास, जानिए

तस्वीरः गूगल साभार

बैठक में स्क्रीनिंग और नियुक्ति में शिक्षण अनुभव को अधिक महत्त्व दिए जाने की वकालत की जाएगी। साथ ही एडहॉक शिक्षकों को ओरिएंटेशन ,रिफ्रेसर और कॉन्फ्रेंस आदि में भाग लेने की अनुमति देने पर बल दिया जाएगा।

यूजीसी विनियमन-2018 के संशोधन और नियमन के लिए बनी दिल्ली विश्वविद्यालय की उच्च स्तरीय कमेटी की मंगलवार को एक और महत्वपूर्ण बैठक होने वाली है। इस बैठक में कमेटी अपनी संस्तुतियों को अंतिम रूप दे सकती है। अंतिम होने के कारण इस बैठक का महत्त्व काफी अधिक है। इस बैठक में आम सहमति वाले विषयों को दिल्ली विश्वविद्यालय के अध्यादेश के रूप में बदलाव पर चर्चा होगी, जहां जरूरी होगा वहां संबंधित अधिनियमों में आवश्यक परिवर्तन और संशोधन किए जाएंगे ताकि उन्हें एसी और ईसी में पारित कर कार्यान्वित किया जा सके।

उच्च स्तरीय कमेटी के सदस्य प्रो. हंसराज ‘सुमन’,डॉ .रसाल सिंह और डॉ. गीता भट्ट बैठक में एडहॉक शिक्षण अनुभव को स्क्रीनिंग और नियुक्ति में अधिक महत्त्व देने की जोरदार वकालत करने वाले हैं। हंसराज सुमन ने बताया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय में एक बड़ा समुदाय एडहॉक साथियों का बन गया है जो लंबे समय से असुरक्षा और अस्थिरता झेलते हुए विश्वविद्यालय की सेवा कर रहा है। विश्वविद्यालय प्रशासन का यह मानवीय दायित्व है कि इस लंबे समय से खटने वाले इस बड़े तबके के साथ न्याय सुनिश्चित हो। ऐसे शिक्षक अपने जीवन का सर्वोत्तम समय विश्वविद्यालय को दे चुके हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि वे विस्थापित होकर अब कहां जाएंगे।

उन्होंने यह भी बताया है कि इस विनियमन में एडहॉक अनुभव को पदोन्नति में जोड़ने की ऐतिहासिक पहल हुई है, लेकिन पदोन्नति के लिए रिफ्रेशर कोर्स, ओरिएंटेशन कोर्स, सेमिनार, कॉन्फ्रेंस आदि की आवश्यकता उन्हें इस लाभ से वंचित कर सकती है, इसलिए उन्हें एडहॉक सर्विस के दौरान भी रिफ्रेसर, ओरिएंटेशन, सेमिनार, कॉन्फ्रेंस आदि में भागीदारी की अनुमति दी जानी चाहिए ताकि वे सही समय पर पदोन्नति पा सकें।

डॉ. गीता भट्ट द्वारा पिछली बैठक में उठाये गए एडहॉक महिला शिक्षिकाओं को मातृत्व अवकाश देने के मुद्दे पर भी जबरदस्त बहस होने के आसार हैं। यह महिलाओं का प्राकृतिक अधिकार है और उन्हें न तो इससे वंचित किया जाना चाहिए और न ही इसके कारण रोजगार और समान अवसर से वंचित किया जाना चाहिए।

डॉ. रसाल सिंह ने बताया है कि  मंगलवार को होने वाली वैठक में कॉलेजों में प्रोफेसरशिप, पदोन्नति में एडहॉक सर्विस जोड़ने, रिसर्च पेपर में दो किताबे जोड़ने तथा ओरिएंटेशन व रिफ्रेसर कोर्स की बाध्यता 31 दिसम्बर 2018 तक ड्यू पदोन्नति के लिए खत्म करने पर अंतिम मुहर लग जायेगी।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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