कविताः मां कहां हो तुम
-देवेश अग्रवाल मैंने कभी उसकी एक झलक नहीं देखी पर हर जगह उसका साया पाया है सुना है उसको सब मां कहते हैं कभी उसका चेहरा नहीं देख सका मैं पैदा हुआ तो सोचा भगवान…
-देवेश अग्रवाल मैंने कभी उसकी एक झलक नहीं देखी पर हर जगह उसका साया पाया है सुना है उसको सब मां कहते हैं कभी उसका चेहरा नहीं देख सका मैं पैदा हुआ तो सोचा भगवान…
-नीरज सिंह अब भी क्या वो शर्माती होगी फ्रॉक पहने वो इतराती होगी अभी भी वो छोटी वाली लाल बिंदी लगाती होगी दो चुटिया करके क्या अभी वो आती होगी क्या वो अब भी शर्माती…
-संजय भास्कर फ्लाईओवर के बारे में कविता लिखना कोई आसान काम नहीं है। फ्लाईओवर के बारे में कविता लिखने से पहले शहर के लोगों के विचार जान लेने जरूरी हैं, जो हर रोज या अक्सर…
-रेवा बहुत खुश था वो गांव के चौराहे पर खड़ा बूढ़ा पीपल, बरसों से खड़ा था अटल सबके दुःख सुख का साथी लाखों मन्नत के धागे खुद पर ओढ़े हुए, कभी पति की लम्बी…