-नीरज सिंह
अब भी क्या वो शर्माती होगी
फ्रॉक पहने वो इतराती होगी
अभी भी वो छोटी वाली लाल बिंदी लगाती होगी
दो चुटिया करके क्या अभी वो आती होगी
क्या वो अब भी शर्माती होगी
वो घर से क्या अब भी पापा के स्कूटर पर ही आती होगी
रास्ते में क्या अभी भी वो सबको देख डर जाती होगी
वो मोटू अंकल को क्या अब भी भोतू अंकल कहती होगी
बात-बात पर उसकी नाक क्या अभी भी बहती होगी
क्या वो अब भी शर्माती होगी
वो अपने बछड़े को क्या अब भी अपना सबसे प्यारा दोस्त मानती होगी
खेतों में जाकर क्या अब भी वो चने का साग खाती होगी
बैलगाड़ी की सवारी करने के लिए आज भी क्या वो नाक फुलाती होगी
क्या वो अब भी शर्माती होगी
पढ़ाई से तो हर दम दूर-दूर ही रहती थी वो
कुछ क़िताबों में क्या अब अपना समय बिताती होगी
क्या छोटे – छोटे हाथों से पहले जैसे रोटियां बनाती होगी
गुड्डों- गुड़ियों की शादी अब भी क्या वो अपने छत पर करवाती होगी
क्या अब भी वो शर्माती होगी
(नीरज पत्रकारिता के छात्र हैं और कविता लिखना इनका शौक रहा है)
Well played with words!?