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कविताः क्या अब भी वो शर्माती होगी

-नीरज सिंह अब भी क्या वो शर्माती होगी फ्रॉक पहने वो इतराती होगी अभी भी वो छोटी वाली लाल बिंदी लगाती होगी दो चुटिया करके क्या अभी वो आती होगी क्या वो अब भी शर्माती…


कविताः फूले हुए पेट

-सुकृति गुप्ता मैं उन बच्चियों को देखती हूँ बारह, तेरह, चौदह, पंद्रह बरस की उनके चेहरे की मासूमियत उनका चुलबुलापन, उनकी मुस्कुराहट उनका सँजना-सँवरना लड़कों को देखकर खिलखिलाना देखती हूँ   कोई और भी है…