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नीरज

मेले में पान बीड़ी की दुकान लगाए, कवि “लिखे जो खत तुझे”, मुझको याद किया जाएगा

-सुकृति गुप्ता  (महान कवि की यादों पर विशेष) “स्वप्न झरे फूल से, मीत चुभे शूल से लुट गये सिंगार सभी बाग़ के बबूल से और हम खड़े-खड़े बहार देखते रहे। कारवाँ गुज़र गया गुबार देखते…


कविताः क्या अब भी वो शर्माती होगी

-नीरज सिंह अब भी क्या वो शर्माती होगी फ्रॉक पहने वो इतराती होगी अभी भी वो छोटी वाली लाल बिंदी लगाती होगी दो चुटिया करके क्या अभी वो आती होगी क्या वो अब भी शर्माती…


कविताः मैं तुम्हारे इश्क़ में बनारस सा होना चाहता हूँ

अस्सी घाट जैसा तुम में मिलना चाहता हूँ मैं तुम्हारे इश्क़ में बनारस सा होना चाहता हूँ   मंडुआडीह जैसा हवाओं में उड़ना चाहता हूँ मैं तुम्हारे इश्क़ में बनारस सा होना चाहता हूँ  …