SUBSCRIBE
FOLLOW US
  • YouTube
Loading

कविता

कविताः अंत में तुम हम हो जाना 

–नीरज सिंह सुनो, मेरे तुम हम बन जाना अपने ग़ुलाबी होठों की लाली हो सके तो हमारे माथे पर छोड़ जाना अपने हाथों की उंगलियों को मेरे बालों में सहलाते-सहलाते कहीं खो जाने देना हो…


कविताः बेखबर से हम

-प्रिया सिन्हा बेखबर से हम हम कभी थोड़ा बेखबर रहते हैं तो कभी सबकी खबर रखते हैं कुछ इस तरह सबकी जानकारी हम तो शब-ओ-सहर रखते हैं   रहते तो हैं हम भी कभी ओझल,…


कविताः पुरानी डायरी के पन्ने

– संजय भास्कर   अक्सर जब कभी मिल जाती है पुरानी डायरी तब लगभग हर उस शख्स के चेहरे पर मुस्कराहट आ जाती है जिन्होंने कभी इस डायरी में कुछ सपने संजोये होंगे डायरी में…


मित्रता दिवस पर विशेषः वो प्यारा सा सिलसिला है दोस्ती

-रीना मौर्या सुख- दुःख में जो साथ दे परायों में अपनों का अहसास दे जिससे जुड़ा न हो कोई मज़बूरी का रिश्ता जिसे दिल ने माना है अपना ही हिस्सा वो प्यारा सा अहसास है…