-रीना मौर्या
सुख- दुःख में जो साथ दे
परायों में अपनों का अहसास दे
जिससे जुड़ा न हो कोई
मज़बूरी का रिश्ता
जिसे दिल ने माना है
अपना ही हिस्सा
वो प्यारा सा अहसास है दोस्ती
उसके आने से चेहरे पर
मुस्कान खिले
उसके जाने पर दिल
फिर उसकी याद करे
शरारत और मस्ती है
उसकी अदाओं में
पर बोले तो यूँ लगे जैसे
मिश्री घुली हो उसकी बातों में
जिसका हर अंदाज है निराला
वो प्यारा सा नाम है दोस्ती
जिंदगी के हर उतार-चढ़ाव
में जो एक सा रहे
ख़ुशी में साथ दे
गम मे हाथ थाम ले
रूठने का मनाने का
फ़साना है ये प्यार जताने का
वो अफसाना है दोस्ती
सबसे अजीज है
दिल के करीब है वो
रात- रात भर जिसकी
बाते न हो ख़त्म
सुबह हुई नहीं की
फिर करे बक-बक
वो प्यारा सा सिलसिला है दोस्ती
फूलों की तरह जीवन में
मेरे खिलता है जो
हवा की तरह आस-पास
चलता है जो
रोशनी की तरह
हरपल चमकता है जो
वो खूबसूरत बहार है दोस्ती
यह रचना रीना मौर्या के ब्लॉग “मेरा मन पंछी सा” से ली गई है।
thank you prabhat ji for sharing my poem….