गजलः दिन पुराने ढूंढ लाओ साब जी
-दिगम्बर नासवा दिन पुराने ढूंढ लाओ साब जी लौट के इस शहर आओ साब जी कश पे कश छल्लों पे छल्ले उफ़ वो दिन विल्स की सिगरेट पिलाओ साब जी मैस की पतली…
-दिगम्बर नासवा दिन पुराने ढूंढ लाओ साब जी लौट के इस शहर आओ साब जी कश पे कश छल्लों पे छल्ले उफ़ वो दिन विल्स की सिगरेट पिलाओ साब जी मैस की पतली…
-राधिका रमण रानी क्या यही है ईश्वर की इच्छा कोई मेरे तन में काँटे चुभाए क्या यही है ईश्वर की इच्छा कोई मेरे तन-मन को छलनी कर आत्मा को मार दे क्या यही है ईश्वर…
-रचना दीक्षित बचपन,सपने, यादें, विरासत छोड़ आई थी,रख आई थी, सहेज आई थी अपने घर की दहलीज़ के भीतर कभी ढूंढती हूँ, खोजती हूँ, टटोलती हूँ, तलाशती हूँ कहीं भी कुछ भी जब तब पूंछते…
-सरिता कैसे-कैसे हैं ये लोग… ना जानें क्यों मजहबों के पीछे लड़ते हैं लोग ना जाने क्यों भगवान को बाटतें है लोग ईश्वर अल्लाह को मानते हैं ये लोग पर फिर भी न जाने क्यों…