-सरिता
कैसे-कैसे हैं ये लोग…
ना जानें क्यों मजहबों के पीछे लड़ते हैं लोग
ना जाने क्यों भगवान को बाटतें है लोग
ईश्वर अल्लाह को मानते हैं ये लोग
पर फिर भी न जाने क्यों
इंसानियत को नहीं पहचानते हैं ये लोग
वो काम जो किसी के खुशियों की वजह बन जाये
वो नाम जो चेहरों में मुस्कान ले आये
वो फैसला जो सबके काम आए
वो ज्ञान जो दुनियां में सबको मिल जाये
बस यही धर्म है इतना भी नही जानते ये लोग
मर मिटते हैं ये अपने-अपने वजूद बचाने पर
क्यों नहीं कोशिश करते इंसानियत निभाने की
समझदार बनकर न जाने क्यों
पागलपन सी बातें करते हैं ये लोग
हर रोज आईना देखकर संवरते हैं ये लोग
पर एक बार भी खुद में झांकना भूल जाते हैं ये लोग
खुदा के सामने झोली फैला कर महर मांगते हैं ये लोग
पर उसी के बनाएं बन्दों पर कहर ढाते हैं ये लोग
एक ही मिट्टी से बनकर एक मे ही मिल जाते हैं ये लोग
फिर भी ना जाने कैसे
कौम और धर्म मे बंट जाते हैं ये लोग ।
(सरिता सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी कर रही हैं)
Be the first to comment on "कविताः जाने क्यों लोग"