जिंदगी तुम कई बार
मुसकराहटों के मायने बदल देती हो
पढ़ती हो जब भी
वक़्त की किताब
सोच में पड़ जाती हो
हर पृष्ठ इसका विस्मय की स्याही से भरा होता है
जिसके मायने तुम्हें भी
झकझोर देते हैं!
… वक़्त के पन्नों पर
जिंदगी बारीकी से अपने अनुभव
शब्दश: उकेरती
कभी कोई आकृति
मन मस्तिष्क पर गढ़ देती
जिसके बिना जीवन का हर पल
बस व्यर्थ ही जान पड़ता
फिर भी अगले पृष्ठ पर
उम्मीद की हल्की सी एक लक़ीर
खींचकर तुम
कुछ पंक्तियों को जब रेखांकित करती हो
वो लम्हा ज़ज़्ब नही होता जब
छलक पड़ती है टप से
एक बूँद नयनों के कोटर से
फैल जाती है स्याही
धुँधला जाते हैं शब्द
पर उनके अर्थ बोलते हैं
(कवयित्री सीमा सिंघल जानी मानी लेखक व ब्लॉगर हैं सदा नाम से ब्लॉग लिखती हैं।
ब्लॉग का पता https://sadalikhna.blogspot.com/ है)
Be the first to comment on "वक़्त के पन्नों पर (कविता)"