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दिवाली पर सिर्फ 2 घंटे चला पाएंगे पटाखे, सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लेकर जनता है नाखुश!

दिवाली से पहले पटाखों की बिक्री और इसे जलाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बहुत बड़ा फैसला दिया है और पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने से इनकार कर दिया है। हालांकि इसके लिए कुछ शर्ते भी लगाई गई हैं। कोर्ट ने अपने फैसले में लोगों की भावनाएं और प्रकृति के हालात के बीच संतुलन बनाने की कोशिश की है। हालांकि फोरम4 की टीम दिल्ली के चांदनी चौक के उस मार्केट में लोगों की इस विषय पर राय जानने की कोशिश की। लोगों ने इस आदेश को ही गलत बताया।

आप देखिए क्या कहती है जनता पटाखे छोड़े जाने के लिए समय निर्धारित करने पर

इन तीन बच्चों का हाथ है आदेश के पीछे

दिल्ली के रहने वाले तीन बच्चे अर्जुन गोपाल, आरव भंडारी और जोया राव दिवाली के बाद दिल्ली में हुए प्रदूषण की वजह से बीमार पड़ गए थे। इन्होंने ही सुप्रीम कोर्ट से पटाखों पर प्रतिबंध लगाने की बात की थी। यह बात अक्टूबर 2015 की है। उस वक्त इन बच्चों की उम्र महज़ 6 महीने से लेकर 14 महीने तक की ही थी। अक्टूबर 2015 की है। जब दिल्ली में प्रदूषण थोड़ा कम हुआ तो ये बच्चे ठीक हो गए। इसके बाद इन बच्चों ने अपने-अपने पिता के जरिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी। इस याचिका में कहा गया था कि दिल्ली में प्रदूषण की वजह से हालात खराब होते जा रहे हैं।

इन तीन बच्चों और उनके पिताओं की ओर से सुप्रीम कोर्ट की वकील पूजा धार ने जनहित याचिका दाखिल करते हुए कहा था कि भारत के संविधान का अनुच्छेद 21 सभी नागरिकों को जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा का अधिकार देता है। दशहरे और दिवाली के दौरान पटाखों की वजह से नवजातों को अस्थमा और फेफड़ों की बीमारियां होने का खतरा रहता है। ऐसा इस वजह से होता है कि छोटे बच्चों के फेफड़े पूरी तरह विकसित नहीं हुआ रहता है और बीमारियों से लड़ने की उनकी ताकत भी काफी कम होती है। बच्चों की ओर से दाखिल याचिका में लिखा गया था-

‘हमारी वृद्धि और विकास के लिए हमें साफ हवा में सांस लेने का अनुकूल माहौल देना जरूरी है। इसलिए दिल्ली में पटाखों पर बैन लगा दिया जाए.’

तीन साल तक चली लंबी सुनवाई के बाद आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने इन तीन बच्चों की याचिका पर 23 अक्टूबर को यह फैसला सुनाया। फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने से इन्कार कर दिया।

क्या है आदेश की मूल बातें, कब जलाएं पटाखे

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केवल उन्हीं पटाखों को बेचने की अनुमति होगी जिससे पर्यावरण को कम से कम नुकसान हो। सुप्रीम कोर्ट ने सेफ और ग्रीन पटाखे बेचने की अनुमति दी है। साथ ही पटाखे एक तय समय में तय किए गए क्षेत्र में ही बेचे जाएंगे। विशेष दिन पर पटाखों को जलाने के लिए समय सीमा निर्धारित की गई है। अब आप तय समय में ही पटाखे जला सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार, दिवाली को आप सिर्फ दो घंटे के लिए ही पटाखे जला पाएंगे। इसके लिए तय समय है राम 8 से 10 बजे तक। इसके अलावा क्रिसमस और नए साल के मौके पर फायरक्रैकर्स रात 11.55 से रात 12.30 तक ही छोड़े जा सकते हैं।

पटाखें कोई भी नहीं बेच सकता है। पटाखे बेचने के लिए आपके पास लाइसेंस होना अनिवार्य है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि ऑनलाइन माध्यमों पर पटाखे नहीं बेचे जा सकेंगे। इसका मतलब हुआ कि आप ई-कॉमर्स वेबसाइटों से पटाखे नहीं खरीद पाएंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में धार्मिक जलसों में भी पटाखे जलाने पर बैन लगा दिया है। कोर्ट ने कहा है कि पटाखे से जुड़े आदेश दूसरे धर्म पर भी लागू हों।

कोर्ट का कहना है कि हमने दिवाली के मौके पर परंपरा को देखते हुए और प्रदूषण के संकट के मद्देनजर संतुलन स्थापित करने की कोशिश की है। संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन के अधिकार) सभी वर्ग के लोगों पर लागू होता है और पटाखों पर देशव्यापी प्रतिबंध पर विचार करते समय संतुलन बरकार रखने की जरूरत है।

बता दें कि पिछले साल 9 अक्टूबर को शीर्ष अदालत ने दिवाली से पहले दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर अस्थायी रूप से प्रतिबंध लगा दिया था।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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