कविताः फ्लाई ओवर (पुल)
-संजय भास्कर फ्लाईओवर के बारे में कविता लिखना कोई आसान काम नहीं है। फ्लाईओवर के बारे में कविता लिखने से पहले शहर के लोगों के विचार जान लेने जरूरी हैं, जो हर रोज या अक्सर…
-संजय भास्कर फ्लाईओवर के बारे में कविता लिखना कोई आसान काम नहीं है। फ्लाईओवर के बारे में कविता लिखने से पहले शहर के लोगों के विचार जान लेने जरूरी हैं, जो हर रोज या अक्सर…
-रेवा बहुत खुश था वो गांव के चौराहे पर खड़ा बूढ़ा पीपल, बरसों से खड़ा था अटल सबके दुःख सुख का साथी लाखों मन्नत के धागे खुद पर ओढ़े हुए, कभी पति की लम्बी…
-सुकृति गुप्ता मैं उन बच्चियों को देखती हूँ बारह, तेरह, चौदह, पंद्रह बरस की उनके चेहरे की मासूमियत उनका चुलबुलापन, उनकी मुस्कुराहट उनका सँजना-सँवरना लड़कों को देखकर खिलखिलाना देखती हूँ कोई और भी है…
– धर्मेन्द्र सिंह भदौरिया न जाने कहाँ रहते हैं वो लोग जो करते हैं बहुत सारा स्नेह किसी से बेशर्त कब आते हैं, कैसे आयेंगे, किसको स्नेह करने आयेंगें ? पता है क्या ? …