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…आने वाले दिनों में (कविता)

तस्वीरः गूगल साभार

– संजय भास्कर 

आने वाले दिनों में जब
हम सब
कविता लिखते पढ़ते बूढ़े
हो जायेंगे
उस समय लिखने के लिए
शायद जरूरत न पड़े
पर पढ़ने के लिए
एक मोटे चश्मे की
जरूरत पड़ेगी
जिसे आज के समय में हम
अपने दादा जी की आँखों पर
देखते हैं
तब पढ़ने के लिए
ये मोटा चश्मा ही होगा
अपना सहारा
आने वाले दिनों में
देखता हूँ यह स्वप्न
मैं कभी-कभी
क्‍या आपको भी
ऐसा ही
ख्‍याल आता है कभी…

(संजय भास्कर जाने माने लेखक व ब्लॉगर भी हैं)

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

2 Comments on "…आने वाले दिनों में (कविता)"

  1. Bahut khoob

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