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कविताः मैं नारी हूँ

तस्वीरः गूगल साभार

-राधिका

सबल हूँ,

प्रबल हूँ,

मैं नारी हूँ।

अनिश्चितताओं में जन्म हुआ,

मन उपेक्षाओं का शिकार हुआ,

फिर भी,

धीर हूँ,

गंभीर हूँ,

मैं नारी हूँ।

रास्ते हैं हमारे काँटों से भरे

फिर भी,

जीवन के इस संघर्षमयी पथ पर

मैं एक वीरांगना हूँ ।

सबल हूँ,

प्रबल हूं,

मैं नारी हूँ ।

(राधिका रमण रानी मूलतः बिहार की रहने वाली हैं और बिहार सरकार की सेवा में कार्यरत हैं)

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

4 Comments on "कविताः मैं नारी हूँ"

  1. Priti kumari | July 28, 2018 at 7:46 PM | Reply

    A sweet poem.I really liked it.It shows reality of a woman.Lovely work Radhika.

  2. Bahut khub …..keep it up

  3. Awesome dear.short poem with strong reflection of emotions.keep it up…..keep going ?

  4. Beautiful lines dear just like u

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