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राधिका

कविताः तुम्हारी इच्छा

-राधिका रमण रानी क्या यही है ईश्वर की इच्छा कोई मेरे तन में काँटे चुभाए क्या यही है ईश्वर की इच्छा कोई मेरे तन-मन को छलनी कर आत्मा को मार दे क्या यही है ईश्वर…


कविताः मैं नारी हूँ

-राधिका सबल हूँ, प्रबल हूँ, मैं नारी हूँ। अनिश्चितताओं में जन्म हुआ, मन उपेक्षाओं का शिकार हुआ, फिर भी, धीर हूँ, गंभीर हूँ, मैं नारी हूँ। रास्ते हैं हमारे काँटों से भरे फिर भी, जीवन…