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चौपाल


अटल जी को उनकी कविता गीत नया गाता हूं के जरिए श्रद्धांजलि

 दो अनुभूतियां -पहली अनुभूति बेनकाब चेहरे हैं, दाग बड़े गहरे हैं टूटता तिलिस्म आज सच से भय खाता हूं गीत नहीं गाता हूं लगी कुछ ऐसी नज़र बिखरा शीशे सा शहर अपनों के मेले में…


लहू की दीवार के चश्मदीद सूबेदार मेजर अमरनाथ शर्मा के साथ गुफ़्तगू जो विभाजन के समय पाकिस्तान से आए थे

-सुकृति गुप्ता दीवारों पर सीलन हैं दरारे हैं चीखती चिल्लाती दर्द से कराहती कुछ दरारें दीवारों के अंदर भी हैं…. कमलेश्वर अपनी कहानी ‘आज़ादी मुबारक’ में मंटो के साथ आज़ादी का जश्न मनाते हैं। जश्न…


कविताः हमारा तिरंगा

-प्रिया सिन्हा तिरंगे के तीन रंग  केसरिया रंग सदा ही बल भरने वाला आगे बढ़ते रहने को प्रेरित करने वाला मेहनत का फल देने वाला करने पर अथक प्रयास सफलताएं मिलती इतनी ऊँची जितना ऊँचा…