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चौपाल

कविताः मेरी सच्ची इबादत है

-प्रिया सिन्हा  आज अभी हर-पल, हर-क्षण बस यही सोच रही हूँ मैं, कि सबके सामने अपने प्यार का इजहार कर दूं; चीख-चीख कर सब लोगों को बताऊं और खुद ही, सबके सामने अपने प्यार का…


दुष्यंत की जयंती पर विशेष “मैं किसी पुल सा थरथराता हूं”

– संजय भास्कर  तू किसी रेल सी गुज़रती है, मैं किसी पुल सा थरथराता हूं – दुष्यंत कुमार कवि और हिंदी के पहले गज़लकार स्व. दुष्यंत कुमार आज 1 सितंबर, 1933 के दिन ही पैदा हुए…


कविताः साक्षात्कार ब्रह्मा से

-दिगम्बर नासवा ढूंढ़ता हूँ बर्फ से ढकी पहाड़ियों पर उँगलियों से बनाए प्रेम के निशान मुहब्बत का इज़हार करते तीन लफ्ज़ जिसके साक्षी थे मैं और तुम और चुप से खड़े देवदार के कुछ ऊंचे-ऊंचे…


शेक्सपियर बनने की चाहत में लक्ष्मण फुटपाथ पर चलाते हैं कलम और बनाते हैं चाय

-प्रभात जब इंसान किसी लक्ष्य को हासिल करने का मन बना ले तो प्रेरणा प्रदान करने के लिए कोई वस्तु या व्यक्ति अपने आप सामने आ जाता है। सपना उसकी हकीकत को दिखाने के लिए…