कभी तो मुझ में घुल जाने के लिए आ
-कहकशां आना है तो पूरी तरह आ कभी तो मुझ में घुल जाने के लिए आ, ये दिया यूँ ही रखा है कभी तो इसे जलाने के लिए आ, कब तक तनहा काटें…
-कहकशां आना है तो पूरी तरह आ कभी तो मुझ में घुल जाने के लिए आ, ये दिया यूँ ही रखा है कभी तो इसे जलाने के लिए आ, कब तक तनहा काटें…
-आशीष देश भर में 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में इसलिए मनाया जाता है ताकि अंग्रेजी भाषा के बढ़ते चलन और हिंदी की अनदेखी को रोकने में मदद मिल सके। बता दें कि…
– संजय भास्कर आने वाले दिनों में जब हम सब कविता लिखते पढ़ते बूढ़े हो जायेंगे उस समय लिखने के लिए शायद जरूरत न पड़े पर पढ़ने के लिए एक मोटे चश्मे की जरूरत पड़ेगी…
-निलेश शर्मा मैं हर उस जगह पर होना चाहता हूं जहाँ मुझे होना चाहिए, जैसे उस घड़ी की तरफ जो भागता रहता है सबकी कलाईयों में बंधकर, उन बातों में जब वो दोनों लड़कियां कान…