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चौपाल

वक्‍़त के पन्नों पर (कविता)

जिंदगी तुम कई बार मुसकराहटों के मायने बदल देती हो पढ़ती हो जब भी वक्‍़त की किताब सोच में पड़ जाती हो हर पृष्‍ठ इसका विस्मय की स्याही से भरा होता है जिसके मायने तुम्हें…


बचपन के दोस्त (कविता)

एक बार फिर याद आए वो दोस्त जिन्होंने बचपन में की थी मिलकर अनगिनत शरारतें और किए थे साथ चलने के अनेकों वादे सब छूट गए कहीं पीछे, दूर बहुत दूर वो स्कूल की आख़िरी…


मैं सफ़र का था (कविता)

मैं कभी उत्तर तो कभी पूर्व हो चला ऐसा जीवन बनाया कि खानाबदोश हो चला पहाड़ों पर रात बिताई कितनी बंजर खेतों में कई बार पसर गया मैं सफ़र का था सफ़र में ही रह…


मुसीबत के सिवा कुछ भी नहीं (कविता)

– संजय भास्कर  जिंदगी तो एक मुसीबत है मुसीबत के सिवा कुछ भी नहीं   पत्थरों तुम्हे क्यूं पूजूं तुमसे भी तो मिला कुछ भी नहीं   रोया तो बहुत हूं आज तक अब भी…