भूख, बेबसी और वापसी
हज़ारों की भीड़ है, सबके चेहरे सहमे और डरे हुए से हैं। सब भागना चाहते हैं क्यूंकि तुम्हारे ऊपर हमें विश्वास नहीं रहा, एक दूसरे को पैर से रौदतें हुए लोग रो-रो कर थक गई…
हज़ारों की भीड़ है, सबके चेहरे सहमे और डरे हुए से हैं। सब भागना चाहते हैं क्यूंकि तुम्हारे ऊपर हमें विश्वास नहीं रहा, एक दूसरे को पैर से रौदतें हुए लोग रो-रो कर थक गई…
विषाक्त विचार, विषाक्त हवा पानी, बहुत भारी है जान बचानी बड़ी गज़ब सरकारी कहानी, जोड़ तोड़ कर सत्ता चलानी मंत्री संत्री क्या जाने रोटी की कहानी बड़ी मेहनत से पड़ती है कमानी खोखले वादे…
कुछ रफ़ू कर के तो देख नई सी लगेगी ज़िन्दगी कुछ मरहम लगा कर तो देख ज़ख्म भरते नज़र आयेंगे कुछ प्यार के बोल बरसा कर तो देख अपने से नज़र आयेंगे कुछ मुखौटे उतार…
हर युग में चीर हुआ औरत का, कपड़ों की कमी न गाओ। हैवान दरिंदों को तुम सब मिलकर ऐसे न बढ़ाओ। अपने-अपने बेटों को भी, संस्कार शब्द सिखलाओ। कब तक बेटी दोषी होगी, बेटों…