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कुछ रफ़ू कर के तो देख नई सी लगेगी ज़िन्दगी

कुछ रफ़ू कर के तो देख नई सी लगेगी ज़िन्दगी
कुछ मरहम लगा कर तो देख ज़ख्म भरते नज़र आयेंगे
कुछ प्यार के बोल बरसा कर तो देख अपने से नज़र आयेंगे
कुछ मुखौटे उतार कर तो देख दुनिया बेहतरीन नज़र आएगी
कुछ मौका मिले तो आजमा कर तो देख कौन-कौन तेरा है

अंदाज़ा लगा कर तो देख अपने सपनों के धागों में
पीरों कर दिल के अरमानों से सजा कर तो देख उड़ान ना मिले तो कहना
क्षमा प्रार्थी बन सर झुका कर तो देख इज्ज़त ना पाएं तो कहना
खूबसूरत ज़िन्दगी में भूमिका
अदा कर के तो देख किरदारों को निभाते
कुछ आशीर्वाद ना मिले तो कहना
सरहदों पर तैनात सेना को सलाम
करके तो देख गर्व ना हो तो कहना
कर्तव्य निष्ठा से ख़ुद को सुलझा
कर तो देख ख़ुद पर मान ना हो तो कहना
यार का मान से काम में डांट के बाद
ठाठ कर बांट कर पाठ पढ़ने का सबब सिखाती है ज़िन्दगी

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

About the Author

हर्षिता दवार
हर्षिता नारीवादी चिंतन और अन्य कविताएं लिखने का शौक रखती हैं। आपकी अमेजन किंडल पर 7 किताबें हिंदी और अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित हो चुकी हैं।

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