सड़क की चिट्ठी, संसद के नाम, देश के निजाम के नाम
सड़क की चिट्ठी, संसद के नाम देश के निजाम के नाम मैं सड़क हूं, और गांव की गलियों से होकर संसद तक आती हूं. दुनिया बदल गई, लोग बदल गए, उन गांवों ने भी कस्बे…
सड़क की चिट्ठी, संसद के नाम देश के निजाम के नाम मैं सड़क हूं, और गांव की गलियों से होकर संसद तक आती हूं. दुनिया बदल गई, लोग बदल गए, उन गांवों ने भी कस्बे…
सुबह उठता हूँ, कूकती है कोयल, चहकते हैं पंछी बहती है हवा और बज उठती हैं घण्टियां जोर-जोर से फड़फड़ाते हैं पर्दे और फट्ट की आवाज से बन्द हो जाती हैं खिड़कियां मैं बाहर निकलकर…
आज हम साहित्य जगत से कुंदन सिद्धार्थ और उनकी कविताओं से रूबरू करा रहे हैं। बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले के कवि कुंदन सिद्धार्थ की कविताओं में जीवन की सहज अनुभूतियों का समावेश है ।…
आज हम साहित्य जगत से भावना सक्सैना से रूबरू करा रहे हैं। भावना सक्सैना ने सूरीनाम के हिंदुस्तानी समाज के बारे में लेखन किया है और सूरीनाम के भारतवंशी हिंदी लेखकों के साहित्य का आलोचनात्मक…