“नाम बता दिया तो पहचान बुरा मान जायेगी” -अक्षय बाबा
“नहीं बताया तो हम खुदै रख देंगे बच्चा”-योगी बाबा
“भईया बहनों पहली बार हमने कुछ खड़ा (इरेक्ट) किया है”-मोदी बाबा
देश मे यही चल रहा है आजकल। एकतरफ नामकरण तो एक तरफ स्टैच्यू निर्माण (खुशी है कि सब गिराने वालों ने कोई ढंग की चीज़ अंत तक खड़ी कर ही दी। पटेल जी इसके हकदार भी हैं)
बाकी विकास पैदा तो नहीं हुआ ,अलबत्ता मिसकैरेज जरूर हो गया। देश मे अन्य समस्याएं हैं, लेकिन मुख्य बात यह है कि आजकल सबसे ज्यादा मनोरंजन उत्तरप्रदेश में चल रहा है। मैं आखिर में भक्त ही हूँ। बस थोड़ी अंध भक्ति नहीं सीखी। परम् आदरणीय, प्रातः स्मरणीय बाबा योगी जी ने इलाहाबाद का नाम प्रयागराज कर दिया, फैज़ाबाद अब अयोध्या हो गया। कई अन्य तरह के नामकरण और नाम परिवर्तन क्रम में लगे हैं।
सही किया बाबा जी ने जिन मुगलों ने हमें शोषित किया आखिर उनको दोज़ख की आग में हमे जलाना जो है। अब सोचिये पहले कितना बुरा लगता था कि इलाहाबाद में कुंभ है। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी! इलाहाबादी भौकाल! इलाहाबादी बम्म!
अब कितना सुंदर लगता है, प्रयागराज कुम्भ, प्रयागराज यूनिवर्सिटी, प्रयागराजी भौकाल, प्रयागराजी भौकाल। इलाहाबादी बम अब प्रयागराजी अग्नि उत्पादक चक्र कहलायेगा।
इलाहाबादी भौकाल अब प्रयागराजी अतिशयोक्ति वाक्य कहलायेगा। वाह बहुत सुंदर, क्या बात। मजा आ गया भाई!
मुगलों ने नाम बदला था, अभी तो हिन्दू जग गया है। अब हिन्दू नाम बदलेगा। बाप का भाई का मामा का, दादा का सबका बदला लेगा रे तेरा ‘बाबा’।
सीता जी को कहां भूल गए बाबा
अयोध्या में तो प्रभु राम के नाम पर हवाई अड्डा और दशरथ के नाम पर मेडिकल कॉलेज रखेगा रे तेरा बाबा। बस एक बात पूछनी थी गुरु जी मंथरा ने क्या बिगाड़ा था? सबसे महत्वपूर्ण चरित्र तो उसी का है। चलिए छोड़िये उसे। सीता जी को क्यों भूल गए आप। कमसे कम मेडिकल कालेज न सही, इंटर कॉलेज ही खोल देते उनके नाम से। आपके बेटी पढ़ाओ ,बेटी बचाओ अभियान का प्रचार भी हो जाता और साथ में महिला सशक्तीकरण होता वो अलग। भैया भरत और अनुज लक्ष्मण को तो अपने बीपीएल कार्ड तक न दिया। अंत्योदय वाला कार्ड तक ना बनाया आपने। मतलब इतना सौतेला रवैया। प्रभु राम आपको माफ़ नाइ करेंगे।
रोजगार के नाम पर लाठी
लेकिन, जब बात आती है रोजगार की तो योगी जी लाठी दे रहे हैं। आज तक कोई परीक्षा ऐसी नहीं हुई जिसका पेपर ना आउट हुए हों। बस उत्तर प्रदेश पीसीएस का पेपर छोड़ कर।
होल नहीं गुफा हुआ पड़ा है
अभी कुछ दिनों पहले उत्तर प्रदेश में 68500 शिक्षकों की भर्ती हुई । भाई ऐसी व्यस्था देख आंखे भर गईं अपनी तो। होल होना अच्छी बात है, यहां तो हर तरफ होल नही गुफा हुआ पड़ा है।
जिन भाइयों को लगता है ये गलत बात है वो ऑनलाइन देख लें। अब सब धरने पर बैठे हैं, योगी ने मार लाठी मरवा कपार खोल दिया सबका।
आप हिम्मत तो करिये बोलने की, कपार खोल देंगे मार के आपका।
बस आज हिंदुत्व का एजेंडा ही प्रमुख है। वो भी ऐसा हिंदुत्व जिससे हिंदुत्व खत्म ही हो जाएगा!
देश में बिग बॉस चल रहा है
मुझे लगता है आजकल देश मे बिग बॉस चल रहा है, जिसके सलमान खान हैं अपने मोदी जी और उनका सबसे बढ़िया प्रतिभागी है योगी जी।
मतलब जिस जिस बकैती के लिए मोदी जी जाने जाते है उसका अपग्रेड वर्जन हैं योगी जी। वो दिन दूर नही जब ये कहा जायेगा ‘मोदी जी तो एकदम गाय थे गाय’ बस योगी जी पूरे मनोयोग से लगे रहें।
अब कुछ लोगों के मन मे चल रहा होगा कि मैं कितना हिन्दू और राष्ट्रविरोधी इंसान हूँ! तो भाई लोग बात ये है न कि मैं हिन्दू भी हूँ और राष्ट्रवादी भी। वो क्या है न जब बिना नौकरी के बाप की गाली खाने को मिले और हर पर्चाआउट मिले, महीने के लास्ट में रूम का रेंट, बिजली का बिल और न्यूज़ पेपर का बिल हाथ मे पकड़ो…तब धर्म और देश याद नहीं आता। बस ये याद आता है। ससुरा नौकरी लगी होती तो 5 हजार में 2 हजार औऱ उधार न चढ़ते और किसी ज्ञानी ने लिखा है ‘भूखे भजन ना होए गोपाला’
आप रोजगार दीजिये, हम अपने घरों में पूजा कर लेंगे
बात वही है आप रोजगार दीजिये, हम अपने घरों में पूजा कर लेंगे। अपने घरों में छोटी सा मन्दिर बना लेंगे। हम अपने महापुरुषों और सेनानियों की स्मृतियों को सजों लेंगे।
क्योंकि साहेब बकैती करने से न तो देश चलता है और न ही घर!
अगर ये राष्ट्रवाद आपको प्रिय है तो खेद है हमें की गलत प्यार कर लिए आप
आप युवाओं को रोजगार दीजिये पहले। उनसे काम लीजिये। अर्थशास्त्र का सीधा फंडा है ‘कुशल श्रमिक उत्पादकता को बढ़ाता है’ और
‘अपन के देश में कुशल लोग बकैती कर के एंजेल प्रिया बनके फेसबुक पर घूम रहे हैं’
आप नाम बदलिए, स्टैच्यू बनवाइए। पूरा देश भगवा कर दीजिए। राम मंदिर अयोध्या में क्यों? पूरे देश मे बनाइये। लेकिन, बनवाने की मंशा होनी चाहिए। बस अपनी नाकामियों को ढंकने के लिए धर्म का उपयोग मत करिए।
वो क्या है न साहब, जिनके पास पैसे महीने में कम पड़ते हैं और त्यौहार का सीजन हो। वो घर तक नही जातें है, आपके दीपोत्सव में क्या खाक जाएंगे।
धर्म का आचरण मन में होता है औऱ अन्तःकरण का व्यावहार व्यक्तिगत होता है तो कृपया ठेकेदारी बन्द करिये और सच मे युवाओं को दिशा दीजिये।
नोटः कृपया अपने फेफड़ों पर मत लीजिये, मनोविनोद करिये और दीवाली का आनंद लीजिए।
(विवेक आनंद सिंह का यह व्यंग्यात्मक लेख अगर पसंद आए तो प्रतिक्रिया जरूर दें। यह उनके निजी विचार हैं, फोरम4 का इससे कोई लेना देना नहीं है)
विवेक आनंद सिंह के और भी लेख पढ़ें, लिंक पर जाएं
फेसबुकिया देशभक्तों और तथाकथित राष्ट्रवादियों पर गजब का व्यंग्य, आप भी पढ़िये
एडिमशन के वक्त मिली थी, कहां पता था कि साथ जीने मरने की कसमें खाने वाले हैं
अद्भूत है अपका ये वयंग