पितृ दिवस पर विशेषः मेरे पिताजी
एक सच्चे, अच्छे और नेक इरादों की पहचान हैं पिताजी बचपन से लेकर अब तक सहारे की खदान हैं मेरे पिताजी अँधेरे में रोशनी दिखाते मुसीबत से हर निकालते भीड़ में हाथ पकड़ते…
एक सच्चे, अच्छे और नेक इरादों की पहचान हैं पिताजी बचपन से लेकर अब तक सहारे की खदान हैं मेरे पिताजी अँधेरे में रोशनी दिखाते मुसीबत से हर निकालते भीड़ में हाथ पकड़ते…
तपती दोपहरी में जो सुकून उस बरगद के पेड़ की छांव में मिलता है ढूंढ़ने भर से पूरे ज़माने में वो फिर और कही कहां मिलता है कितनी भी कमा लूं दौलत कितने भी…
तू गवाह बन जाये मेरे इश्क का, मैं तेरा ईद बन जाऊँ तू बन मेरी मोहब्बत का चाँद, मैं तेरे लिए मुसलमाँ बन जाऊं सारे जहां को छोड़ आया हूँ तू आज मेरी गीता…
रमजान में लौटेंगे वो घर, ईद मुबारक सरहद से अभी आई खबर, ईद मुबारक मुखड़ा है मेरे चाँद का, है चाँद की आमद अब जो भी हो सबको हो मगर, ईद मुबारक देखेंगे तो वो…