रमजान में लौटेंगे वो घर, ईद मुबारक
सरहद से अभी आई खबर, ईद मुबारक
मुखड़ा है मेरे चाँद का, है चाँद की आमद
अब जो भी हो सबको हो मगर, ईद मुबारक
देखेंगे तो वो इश्क ही महसूस करेंगे
वो देख के बोलें तो इधर, ईद मुबारक
साजिश ने हवाओं की जो पर्दा है उड़ाया
आया है मुझे चाँद नज़र, ईद मुबारक
इंसान ही इंसान का दुश्मन जो बनेगा
तब किसको कहेगा ये शहर, ईद मुबारक
लो बीत गए दर्द की परछाई के साए
कहती है ये खुशियों की सहर, ईद मुबारक
रचनाकार दिगम्बर नासवा जी स्वप्न मेरे नाम से ब्लॉग लिखते हैं। आपका ईमेल पता dnaswa@gmail.com है।
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