कविताः पुरानी डायरी के पन्ने
– संजय भास्कर अक्सर जब कभी मिल जाती है पुरानी डायरी तब लगभग हर उस शख्स के चेहरे पर मुस्कराहट आ जाती है जिन्होंने कभी इस डायरी में कुछ सपने संजोये होंगे डायरी में…
– संजय भास्कर अक्सर जब कभी मिल जाती है पुरानी डायरी तब लगभग हर उस शख्स के चेहरे पर मुस्कराहट आ जाती है जिन्होंने कभी इस डायरी में कुछ सपने संजोये होंगे डायरी में…
-अंकित कुंवर जेई न समझे मित्र का मान, होई दुखदायी कहूँ महान। सच्चा मित्र सम्मान पाहिजे, शत्रु विधाता पापित काहिजे। केहू कहि दुख हरि हमारो, देखत देखत गुण बौछारो। अवगुण अस्त व्यस्त…
-रीना मौर्या सुख- दुःख में जो साथ दे परायों में अपनों का अहसास दे जिससे जुड़ा न हो कोई मज़बूरी का रिश्ता जिसे दिल ने माना है अपना ही हिस्सा वो प्यारा सा अहसास है…
-दिगम्बर नासवा दिन पुराने ढूंढ लाओ साब जी लौट के इस शहर आओ साब जी कश पे कश छल्लों पे छल्ले उफ़ वो दिन विल्स की सिगरेट पिलाओ साब जी मैस की पतली…