मेरी कलम की गुस्ताखी- “मुट्ठीभर खुशी”
अलसाई धुंधली सुबह के बाद बड़े दिन हुए चमकीली धूप निकली। लग रहा था कि कितने दिनों की नींद से ये कूनो का जंगल सोकर उठा है। ओस ने नहला के इसे राजा बेटे सा…
अलसाई धुंधली सुबह के बाद बड़े दिन हुए चमकीली धूप निकली। लग रहा था कि कितने दिनों की नींद से ये कूनो का जंगल सोकर उठा है। ओस ने नहला के इसे राजा बेटे सा…
कई दिनों से हनुमान बड़े ही चिंताग्रस्त दिखाई दे रहे थे। भोजन को लेकर उत्साहित रहने वाले हनुमान अनमने ढंग से थोड़ा बहुत खाते और मां अन्नपूर्णा का शुक्रिया अदा कर उठ जाते। भगवान राम…
-सुकृति गुप्ता राजकमल प्रकाशन और मंटो फिल्म के प्रोडक्शन हाउस के संयुक्त प्रयास से मंटो की 15 कहानियों का विशेष संकलन बाज़ार में उपलब्ध हो गया है। आप इसे अमेजन से खरीद सकते हैं। किताब…
प्यारे पापा, बहुत अरसा हो गया, मैंने आपसे ठीक से बात नहीं की। आपने भी तो कई सालों से मुझसे बात नहीं की। आज भी आप मुझसे बात नहीं करते। मेरे बारे में कुछ नहीं…