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कविताः मेरा ऐसे ख्वाबों से ही नाता है

तस्वीरः गूगल साभार

-संजय यादव

कुछ ख्वाब ऐसे भी रहे

जिन्हें न पलकें मिलीं

ना आँसुओं का साथ मिला

जिन्हें न रात की नींद नसीब हुई

न भोर की हक़ीक़त का प्रकाश मिला

मेरा ऐसे ख्वाबों से ही नाता है

 

जब जब आँखों में ख़्वाब कोई सुनहरा सज गया

क़िस्मत की लकीरों को अखर गया

हासिल हो भी जाती किसी एक को तो उसकी मंज़िल

पर ज़िंदगी की उलझनों ने ऐसा जाल बुना

कि हक़ीक़त के द्वार आते-आते

सपना, सपने की तरह बिखर गया

हर बार जिन्होंने जीत की दहलीज़ पे आकर दम तोड़ा

मेरा ऐसे ही प्रयासों से नाता है

 

सपनों की टूटन ने भर दिया नैराशय मेरे अंदर

ऐसे में कैसे मैं नाद विजय का सुन पाता

जीत के द्वार जा जा कर ख़ाली हाथ लौटे जो प्रयास

उन्होंने ही सौंपा मुझे ये अन्धकार

ऐसे में कैसे मैं जग की सुंदरता देख पाता

टूटे सपने, विफल प्रयास, अनकही पीड़ा

ही जिनका भाग्य बनी हो

ऐसे हर शोषित मानस से मेरा नाता है

 

हाँ कवि हूं मैं

राजदरबारों की चौखटों से नहीं

हर पीड़ित जन के दिल से मेरा नाता है

(रचनाकार संजय यादव “चारागर” पेशे से चिकित्सक हैं। आप इनके मेल पता syadavpacheria@gmail.com पर संपर्क कर सकते हैं)

 

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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…तो अब हो जाएगी कॉलेजों में प्राचार्यों की नियुक्ति

प्रो. हंसराज सुमन, सदस्य, एकेडमिक काउंसिल, दिल्ली विश्वविद्यालय

दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में मंगलवार देर शाम तक कॉलेजों के चेयरमैन और प्रशासनिक अधिकारियों को बुलाकर वाइस चांसलर ऑफिस में बैठक हुई। बैठक में उन कॉलेजों के चेयरमैन और प्रशासनिक अधिकारियों को जुलाई तक स्थायी प्राचार्यों को नियुक्त करने के लिए सख्त निर्देश दिए गए हैं, जिन कॉलेजों में स्थायी प्राचार्य नहीं है। ऐसे अस्थायी प्राचार्य दो दर्जन कॉलेज में हैं। इन कॉलेजों में सबसे ज्यादा दिल्ली सरकार के कॉलेज हैं जहां पहले गवर्निंग बॉडी नहीं थी, लेकिन अब इन कॉलेजों में भी गवर्निंग बॉडी बन चुकी है, दो-तीन कॉलेजों को छोड़कर बाकी कॉलेजों में गवर्निंग बॉडी बन गई है। गौरतलब है कि दिल्ली सरकार के अंतर्गत 28 कॉलेज आते हैं, जिसमें से एक दर्जन ऐसे कॉलेज है जो अस्थायी रूप से या ओएसडी प्राचार्यों के सहारे चल रहे हैं। इन कॉलेजों में गवर्निंग बॉडी के न होने से प्राचार्य पदों पर नियुक्तियां नहीं हो पाई हैं।

डीयू ने दिया कॉलेजों में स्थायी प्राचार्य की नियुक्ति का निर्देश

दिल्ली विश्वविद्यालय ने बैठक में कॉलेजों के चेयरमैन को निर्देशित किया है कि वे जुलाई तक कॉलेजों में प्राचार्यों की स्थायी नियुक्ति करने की प्रक्रिया पूरी करें। इसके लिए अस्थायी शेड्यूल्ड दिया गया है। नियुक्ति प्रक्रिया के लिए ऑनलाइन आवेदन प्राप्त किये जाएंगे। इसके लिए डीयू अध्यादेश-18 के अनुसार एक जांच समिति का गठन होगा।

दिल्ली विश्वविद्यालय के अधिकारयों के अनुसार कॉलेजों में स्थायी प्राचार्यों के न होने से शिक्षण और गैर शिक्षण पदों पर कोई नियुक्ति नहीं की जा सकती है, इसलिए ही कॉलेजों में काफ़ी समय से कोई नई नियुक्ति नहीं हो पायी है। डीयू विद्वत परिषद (एसी) के सदस्य प्रो. हंसराज सुमन ने बताया कि कुलपति दफ्तर में हुई बैठक में चेयरमैनों को एक निश्चित समय सीमा में स्थायी प्राचार्यों की नियुक्ति के लिए किन बातों का ध्यान रखना है यह अधिसूचना में उल्लिखित है। इसके तहत कॉलेज संचालक समिति के दो सदस्यों को नियुक्त किया जायेगा, जिसमें एक डीयू सदस्य का चयन चेयरमैन की ओर किया जायेगा। जांच समिति में कॉलेज का अध्यापक नहीं बैठ सकता। एक व्यक्ति अकादमिक प्रतिनिधि होगा जो एससी, एसटी, ओबीसी, महिला, अल्पसंख्यक का प्रतिनिधित्व करेगा। तीन सदस्यों की समिति से कोरम पूरा होगा। किसी तरह की आपत्ति के लिए उम्मीदवारों को एक सप्ताह का समय दिया जाएगा।

कौन-कौन से कॉलेज हैं जिनमें स्थायी प्राचार्य नहीं हैं?

हंसराज ‘सुमन’ ने बताया कि 6 जून से हंसराज कॉलेज के प्राचार्य का साक्षात्कार हो रहा है। विश्वविद्यालय का कहना है कि इसके बाद से ही अन्य कॉलेजों में भी साक्षात्कार की प्रक्रिया शुरू हो जाएगा। दिल्ली यूनिवर्सिटी के वे कॉलेज जिनमें प्राचार्य नहीं है उनमें हंसराज कॉलेज, हिन्दू कॉलेज, अरबिंदो कॉलेज, अरबिंदो कॉलेज (सांध्य), मोतीलाल नेहरू कॉलेज, मोतीलाल नेहरू कॉलेज सांध्य, भगत सिंह कॉलेज सांध्य , सत्यवती कॉलेज, सत्यवती कॉलेज सांध्य, राजधानी कॉलेज, विवेकानंद कॉलेज ,स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज, भारती कॉलेज, गार्गी कॉलेज, मैत्रेयी कॉलेज, इंदिरा ग़ांधी फिजिकल एजुकेशन, कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड कॉमर्स, कॉलेज ऑफ आर्ट्स, आदि कॉलेजों में दो से पांच साल से प्राचार्यों के पद खाली पड़े हैं।

चयन समिति तय करेगी साक्षात्कार का दिन

प्रो सुमन ने बताया है कि चयन समिति तय करेगी कि किस तारीख व समय को साक्षात्कार होगा। साथ ही समिति के समक्ष उपस्थित योग्य उम्मीदवारों, जो साक्षात्कार में शामिल होंगे उन्हें पत्र भेजकर सूचित करना होगा। वह जिस भी व्यक्ति का चयन करेगी उन सभी चयनित नामों के पैनल को दिल्ली विश्वविद्यालय भेजा जाएगा।

आखिर आरक्षण कब दिया जाएगा?

प्राचार्य के पदों पर भी आरक्षण होते हुए भी दिल्ली विवि में 79 कॉलेज हैं मगर इनमें से एक पद भी एससी, एसटी, ओबीसी व दिव्यांग श्रेणियों से नहीं भरा है। डीयू में जब संसदीय समिति ने दौरा किया था तब रजिस्ट्रार, वाइस चांसलर व डीन ऑफ कॉलेजिज को कहा गया था कि प्राचार्य पदों पर आरक्षण दिया जाए। यदि प्राचार्य पदों को क्लब करते हैं तो एससी-12, एसटी-06 ,ओबीसी-20, दिव्यांग श्रेणी-04 पद बनते हैं। मगर अभी तक डीयू ने प्राचार्य के पदों को क्लब करके रोस्टर रजिस्टर नहीं बनाया है और न ही पदों का विज्ञापन ही निकाला, जिससे सारे पद खाली पड़े हुए हैं। ऐसी स्थिति में जब सारे पदों पर प्रिंसिपल पदों को भर लिया जाएगा तो उन्हें आरक्षण कब दिया जाएगा, सोचनीय विषय है।

लाइब्रेरियन व प्राचार्यों की नियुक्ति के लिए सरकार से सूची की मांग

प्रो सुमन का कहना है कि दिल्ली सरकार के अधिकांश कॉलेजों में उन्होंने जल्द से जल्द लाइब्रेरियन व कॉलेजों में प्राचार्यों की नियुक्ति हो इसके लिए दिल्ली सरकार से गवर्निंग बॉडी के लोगों की सूची भेजने की मांग दिल्ली के मुख्यमंत्री से की है, ताकि नियुक्तियों की प्रक्रिया शुरू की जा सके ।

 

 

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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