कविताः मेरा ऐसे ख्वाबों से ही नाता है
-संजय यादव कुछ ख्वाब ऐसे भी रहे जिन्हें न पलकें मिलीं ना आँसुओं का साथ मिला जिन्हें न रात की नींद नसीब हुई न भोर की हक़ीक़त का प्रकाश मिला मेरा ऐसे ख्वाबों से ही…
-संजय यादव कुछ ख्वाब ऐसे भी रहे जिन्हें न पलकें मिलीं ना आँसुओं का साथ मिला जिन्हें न रात की नींद नसीब हुई न भोर की हक़ीक़त का प्रकाश मिला मेरा ऐसे ख्वाबों से ही…