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चारागर

तो माला प्यार की तोड़ देना, वक्त की मांग है

जब प्रयास विनम्रता के सारे असफल हो जाएं द्वार देवताओं के प्रार्थनाएं सारी अनसुनी हो जाएं तो बंधन मनुहार के तोड़ देना, वक़्त की मांग है निभाते रहे हम ही रीत सदा प्रीत की हारकर…


कविताः मेरा ऐसे ख्वाबों से ही नाता है

-संजय यादव कुछ ख्वाब ऐसे भी रहे जिन्हें न पलकें मिलीं ना आँसुओं का साथ मिला जिन्हें न रात की नींद नसीब हुई न भोर की हक़ीक़त का प्रकाश मिला मेरा ऐसे ख्वाबों से ही…