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यूपी विधानसभा चुनाव 2022 : यूपी की इन सीटों पर सबकी नजर, जानिए क्यों चर्चा में हैं ये विधानसभा क्षेत्र ?

उत्तर प्रदेश में 403, विधानसभा सीटों के लिए पार्टियों ने अपने प्रत्याशियों के नाम का एलान कर दिया है। यहां 7 चरणों में मतदान होने हैं। विधानसभा चुनावों को लेकर पहले चरण का मतदान 10 फरवरी से शुरू हो जायेगा। और अंतिम चरण का मतदान 7 मार्च को होगा। इन सभी चुनावों के परिणाम 10 मार्च को आ जाएगी। किस पार्टी की सरकार बनेगी यह भी तभी तय होगा। हालांकि मुख्यमंत्री बनने को लेकर सपा से अखिलेश यादव, बसपा से मायावती, भाजपा से योगी आदित्यनाथ का नाम लगभग तय है। लेकिन कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का मुख्यमंत्री चेहरा फिलहाल तय नहीं है। एआईएमआईएम से असदुद्दीन ओवैसी ने उत्तर प्रदेश में बाबू सिंह कुशवाहा और भारत मुक्ति मोर्चा के साथ गठबंधन की घोषणा की है। उन्होंने कहा- अगर गठबंधन सत्ता में आता है तो 2 मुख्यमंत्री होंगे, एक ओबीसी समुदाय से और दूसरा दलित समुदाय से। इसके साथ ही मुस्लिम समुदाय के 3 उप मुख्यमंत्री होंगे। इसके अलावा भी तमाम छोटे दल इस चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन पर बात नहीं बनने पर चंद्रशेखर आजाद की पार्टी, आजाद समाज पार्टी ने यूपी चुनाव अकेले लड़ने का फैसला किया है।

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इन सबके बीच जो आप जानना चाह रहे हैं कि यूपी की कौन सी वो सीटें हैं जिन पर जनता अपनी नजर गड़ाये बैठी है। ऐसे ही हम कुछ सीटों और उन पर किस्मत आजमा रहे उम्मीदवारों की बात करने जा रहे हैं।

  1. गोरखपुर सदर : इस विधानसभा सीट के लिए यूपी चुनाव के छठे चरण में 3 मार्च को मतदान होना है. गोरखपुर शहर विधानसभा सीट से डॉक्टर राधा मोहन दास अग्रवाल विधायक थे. बीजेपी ने इस दफे गोरखपुर शहर विधानसभा सीट से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को उम्मीदवार बनाया है। बाबा गोरखनाथ की धरती पर सीएम योगी के खिलाफ आजाद समाज पार्टी और भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर आजाद ने ताल ठोकी है। बसपा से यहां ख्वाजा शमसुद्दीन चुनावी मैदान में हैं। अभी कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का प्रत्याशी यहां से घोषित नहीं हुआ है।
  2. करहल : मैनपुरी जिले की करहल सीट अब काफी चर्चित है। यहां से समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव खुद चुनाव लड़ रहे हैं। उनके खिलाफ भारतीय जनता पार्टी ने केंद्रीय राज्यमंत्री और एक जमाने में सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के खास रहे प्रो. एसपी सिंह बघेल को मैदान में उतारा है। बघेल मुलायम सिंह के पीएसओ भी रह चुके हैं। साथ ही बसपा से करहल के उम्मीदवार कुलदीप नारायन उर्फ दीपक पेंटर मैदान में हैं। कांग्रेस ने यहां से अपना उम्मीदवार अखिलेश यादव के खिलाफ नहीं उतारने का निर्णय लिया है।
  3. सिराथू : यहां से उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य चुनाव लड़ रहे हैं। केशव के खिलाफ बहुजन समाज पार्टी ने संतोष त्रिपाठी को उम्मीदवार बनाया है, वहीं समाजवादी पार्टी ने पटेल बिरादरी के आनंद मोहन को टिकट दिया है। सिराथू में पटेल मतदाताओं की भूमिका काफी निर्णायक है। ऐसे में केशव प्रसाद मौर्य के सामने ये सबसे बड़ी चुनौती होगी।
  4. रामपुर : यह जगह सपा सरकार में मंत्री और लोकसभा सांसद और कद्दावर नेता आजम खान की वजह से काफी चर्चा में है। करीब दो साल से आजम खान जेल में बंद हैं। समाजवादी पार्टी ने यहां से आजम खान को अपना उम्मीदवार बनाया है। माना जा रहा है कि वह जेल में रहते हुए ही ये चुनाव लड़ेंगे। आजम के खिलाफ भाजपा ने आकाश सक्सेना उर्फ हनी को टिकट दिया है। बसपा ने यहां से सदाकत हुसैन और कांग्रेस ने काजिम अली खान को उम्मीदवार बनाया है।
  5. कैराना : पश्चिमी उत्तर प्रदेश की ये सबसे हॉट सीट मानी जाती है। हाल ही में गृहमंत्री अमित शाह ने यहां अपनी चुनावी जनसभा में हिंदुओं के पलायान का मुद्दा उठाया था। यहां से समाजवादी पार्टी ने अपने विधायक नाहिद हसन को टिकट दिया है। कैराना से हिंदुओं के पलायन कराने का आरोप नाहिद पर लगा है। नाहिद को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। और अभी तक उन्हें जमानत नहीं मिल सकी है। इस बार वे भी जेल से ही चुनाव लड़ने वाले हैं। भाजपा ने यहां से मृगांका सिंह और बसपा ने राजेंद्र सिंह उपाध्याय को उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस की तरफ से हाजी अखलाक मैदान में हैं।
  6. नकुड़ : सहारनपुर की नकुड़ सीट भी इस बार चर्चित हो गई है। भारतीय जनता पार्टी के बागी मंत्री धर्म सिंह सैनी को समाजवादी पार्टी ने यहां से टिकट दिया है। सैनी ने कुछ समय पहले ही मंत्री पद और भाजपा छोड़कर सपा जॉइन की है। सैनी के खिलाफ भाजपा ने मुकेश चौधरी को उम्मीदवार बनाया है। बसपा ने साहिल खान और कांग्रेस ने रणधीर सिंह को प्रत्याशी घोषित किया है। वर्ष 2012 के चुनाव में बसपा प्रत्याशी धर्म सिंह सैनी ने इमरान मसूद को करीब पांच हजार मतों से पराजित किया था, जबकि 2017 के चुनाव में धर्म सिंह सैनी ने बसपा छोड़कर भाजपा प्रत्याशी के तौर पर करीब साढ़े 97 हजार मत प्राप्त कर कांग्रेस के प्रत्याशी इमरान मसूद को करीब चार हजार वोटों से हराया था।
  7. सरधना : अपने बयानों से हमेशा चर्चा में रहने वाले विधायक संगीत सोम एक बार फिर से भाजपा के टिकट पर यहां से चुनाव लड़ेंगे। संगीत के खिलाफ समाजवादी पार्टी ने अतुल और बसपा ने संजीव कुमार धामा को मैदान में उतारा है। कांग्रेस की तरफ से सैयद रैनुद्दीन को प्रत्याशी बनाया गया है। सरधना उत्तर प्रदेश राज्य के मेरठ ज़िले में स्थित एक नगर है। महाभारतकाल में कौरवों की राजधानी थी। यहां 2012 और 2017 में भाजपा ने जीत दर्ज की। हालांकि इस सीट पर किसी एक दल का दबदबा नहीं रहा। यहां 1993 से 2002 तक भाजपा, 2007 में बसपा और फिर भाजपा के उम्मीदवार जीतते रहे हैं। अभी तक सपा को यहां से जीत नहीं मिली है। सपा को पहली जीत का इंतजार है।
  8. स्वार : सपा ने आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम को यहां से प्रत्याशी बनाया है। भाजपा ने यह सीट अपने गठबंधन की पार्टी अपना दल एस को दी है। अपना दल की तरफ से हैदर अली यहां से प्रत्याशी हैं। अब्दुल्ला आजम भी पिछले दो साल से जेल में थे। हाल ही में उन्हें जमानत मिली है। अब्दुल्ला लगातार खुद और पिता की जान को खतरा बता रहे हैं। यहां से बसपा के उम्मीदवार अध्यापक शंकर लाल सैनी हैं। जबकि कांग्रेस ने राम रक्षपाल सिंह को अपना प्रत्याशी घोषित किया है।
  9. आगरा ग्रामीण : यह सीट इस बार चर्चा का केंद्र है। यहां से भाजपा ने बेबीरानी मौर्या को टिकट दिया है। बेबीरानी उत्तराखंड की राज्यपाल थीं। कुछ समय पहले ही भाजपा ने उन्हें वापस संगठन की जिम्मेदारी दे दी। अब उन्हें आगरा ग्रामीण से चुनाव के मैदान में उतारा गया है। सपा-रालोद गठबंधन की तरफ से महेश कुमार जाटव को यहां से उम्मीदवार बनाया गया है। बसपा ने किरण प्रभा केसरी और कांग्रेस ने उपेंद्र सिंह को प्रत्याशी बनाया है।

बेबी रानी को मौजूदा विधायक हेमलता दिवाकर का टिकट काटकर चुनाव मैदान में उतारा गया है। बेबी रानी मौर्य राज्य के प्रमुख दलित नेताओं में गिनी जाती हैं और वे करीब तीन दशक से भाजपा से जुड़ी हुई हैं। मौर्य दलित समुदाय की जाटव जाति से आती हैं। यूपी पश्चिमी हिस्से में यह दलित समुदाय की सबसे प्रमुख जातियों में से एक है। बसपा सुप्रीमो मायावती भी इस जाति से ताल्लुक रखती हैं। बसपा से अनुसूचित वोट और खासकर जाटव वोटों को हथियाने के लिए भाजपा ने आगामी विधानसभा चुनावों के लिए बेबी रानी मौर्य को अपने जाटव चेहरे के रूप में पेश किया है। उन्होंने 2007 के चुनावों में एत्मादपुर से विधानसभा चुनाव भी लड़ा था लेकिन वे बसपा उम्मीदवार से चुनाव हार गईं थीं। मायावती ने आगरा से ही बसपा के यूपी अभियान की शुरुआत की। यह सीट जीतना बसपा के लिए प्रतिष्ठा का विषय बन गया है।

  1. घोसी : मऊ की घोसी सीट भी चर्चा में है। इसका कारण यहां से पूर्व मंत्री दारा सिंह चौहान को समाजवादी पार्टी ने प्रत्याशी बनाया है। दारा सिंह चौहान हाल ही में योगी कैबिनेट और भाजपा छोड़कर सपा में शामिल हुए हैं। भाजपा, बसपा और कांग्रेस ने अभी यहां अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है। माना जा रहा है कि भाजपा फिर से विजय राजभर को टिकट दे सकती है। विजय यहां से भाजपा के विधायक हैं।
  2. जसवंतनगर : इटावा की जसवंतनगर सीट पर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने अपने चाचा और प्रगतिशील समाज पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव को मैदान में उतारा है। 2017 में हुए पारिवारिक मतभेदों से अलग होकर चाचा भतीजा एक साथ इस बार गठबंधन के तौर पर आये हैं। भाजपा ने यहां से विवेक शाक्य को प्रत्याशी बनाया है। बसपा की तरफ से ब्रजेंद्र प्रताप सिंह चुनावी मैदान में हैं।
  3. स्याना : उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में 7 विधानसभा सीटों में से एक स्याना है। यहां मुस्लिम, दलित मतदाताओं की संख्या अधिक है. 2019 में गोकशी की घटना के बाद यहां हिंसा हुई थी। इस सीट पर बीजेपी के मौजूदा विधायक देवेंद्र सिंह लोधी दोबारा चुनाव लड़ रहे हैं। हाल ही में यहां से भाजपा प्रत्याशी को गांव में विरोध का सामना भी करना पड़ा था। सपा ने यहां से दिलनवाज खान को चुनावी मैदान में उतारा है। बसपा के प्रत्याशी सुनील भारद्वाज है। जबकि कांग्रेस से किसान आंदोलन में चर्चा में आईं पूनम पंडित अपनी उम्मीदवारी दर्ज करा चुकी हैं।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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प्रभात
लेखक FORUM4 के संपादक हैं।

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