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विधानसभा चुनावों का परिणाम राष्ट्रपति चुनाव तक छोड़ेगा असर, जानिये 2022 में क्या कुछ बदलने वाला है?

तस्वीर-गूगल साभार

वर्ष 2022 शुरू हो चुका है, जनवरी महीना भी लगभग पूरा होने को है. देखा जाय तो 2022 कई मायनों में राजनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण रहने वाला है या कह लें कि ये साल चुनावों का साल रहेगा. ये कहने की वज़ह है इस साल होने वाले चुनाव। इस साल देश में कई अहम और छोटे – बड़े चुनाव होने हैं. इनमें सबसे प्रमुख होगा देश के महामहिम यानी कि राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव. 2022 में होने वाला राष्ट्रपति चुनाव 17वां राष्ट्रपति चुनाव होगा. इसके साथ ही उपराष्ट्रपति पद के लिए भी चुनाव होंगे, देश के मौजूदा उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू का कार्यकाल जो की 5 वर्ष का है वो भी समाप्त हो रहा है.

इन दो प्रमुख चुनावों के बाद, राज्यसभा चुनाव होने हैं जो कि अप्रैल महीने से अगस्त महीने तक होंगे. इसके बाद पश्चिम बंगाल में संसदीय उपचुनाव भी है.

इन सबके बाद देश के 8 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, साल के शुरुआत में 5 राज्यों में चुनाव होंगे जिनकी तारीख़ों का ऐलान भी चुनाव आयोग ने कर दिया है.

बाकी 3 राज्यों में चुनाव साल के अंत में यानी नवंबर-दिसम्बर महीनों में होने हैं, जिनमें जम्मू और कश्मीर भी शामिल है गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में अभी राष्ट्रपति शासन लागू है.

इनके साथ ही विधानसभा उपचुनाव और इनके अलावा कई राज्यों जैसे दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र, कर्नाटक में स्थानीय निकाय चुनाव भी हैं.

चुनावों पर ओमिक्रोन का प्रभाव

जहाँ इस साल कई चुनाव होने हैं और छोटे बड़े दिग्गज राजनेताओं और राजनीतिक पार्टियों का भविष्य तय होगा. वहीं दूसरी ओर पिछले 2 साल से दुनिया कोरोना महामारी का भी सामना कर रही है. 2022 शुरू भी नहीं हुआ कि उस से पहले ही यानी 2021 में ही कोरोना के नये वेरिएंट ओमिक्रोन ने दस्तक दे दी. पिछले साल कोरोना के चलते देश मे जो भयानक स्थिति उत्पन्न हुई थी, जनता को ऑक्सीजन सिलेंडर की तलाश में अपने परिजनों को लेकर दर-दर भटकने को मजबूर होना पड़ा, महामारी फैलने के सबसे बड़े कारणों में से एक पिछले साल हुए बंगाल विधानसभा चुनावों को माना जा सकता है, जिसमें चुनावों के दौरान सबसे ज्यादा रैलियां हुईं थी। इन रैलियों में कोरोना प्रोटोकॉल को ताक पर रख कर सिर्फ अपने राजनीतिक हितों को साधने के लिए जनता की जान को खतरे मे डाल कर सभी बड़े राजनेताओं ने अपनी रैलियां की। क्या अमित शाह, क्या ममता बनर्जी, यहां तक कि प्रधानमंत्री मोदी ने भी 1 दिन में 2 – 2 रैलियों को संबोधित किया. विश्लेषकों की मानें तो इसमें चुनाव आयोग का लापरवाह रवैया भी शमिल था. इसके चलते आयोग को भी काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा.

(हालाँकि उस दौरान आम जनता की कोरोना प्रोटोकॉल के प्रति लापरवाही भी नजरअंदाज नहीं कर सकते)

इस साल 5 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान 8 जनवरी को आयोग द्वारा किया गया. तारीख़ों का एलान होते ही पार्टियों और राजनेताओं ने अपनी अपनी तैयारियां शुरू कर दी. रैलियों के आयोजन की तारीखें घोषित कर दी गई.

साथ ही ओमिक्रोन के मामले भी बढ़ने शुरू हो गए। कई राज्यों में ओमिक्रोन के मामले सामने आए हैं, और रात्रि कर्फ्यू भी लगा दिए गए हैं

देश मे फिर से हड़कंप जैसा माहौल बन गया

चुनाव आयोग ने कोरोना का खास ध्यान रखते हुए इस साल होने वाले चुनावों को लेकर कोरोना दिशानिर्देश बनाये हैं और चुनावी रैलियों पर प्रतिबंध लगा दिया है. जो पार्टियां बड़ी-बड़ी रैलियों की तैयारियों में जुटी थीं, वो सब धरा रह गया.

चुनाव आयोग ने सभी रोड शो और रैलियों पर 15 जनवरी तक प्रतिबंध लगाने का कदम उठाया, फिर इस तारीख को चुनाव आयोग की ओर से दो बार और बढ़ा कर 31 जनवरी तक रैलियों पर रोक लगा दिया गया है। इसके अलावा चुनाव आयोग ने सभी पार्टियों को डिजिटल चुनाव प्रचार पर ज्यादा जोर देने का आग्रह किया है। और कहा है कि वह कोविड के मद्देनजर इस मामले की समीक्षा करेगा. ऐसा करते हुए, ऐसा लगता है कि चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल चुनावों से सबक लिया है.

चुनावी रैलियों और सभाओं पर रोक के साथ राज्यों में आचार संहिता भी लागू है.

विधानसभा चुनाव 2022 की तारीखों और चरणों का एलान

चुनाव आयोग ने 8 जनवरी को चुनावी तारीखों की घोषणा की है. पंजाब और उत्तरप्रदेश समेत पांच राज्यों में 8 जनवरी को निर्वाचन आयोग की ओर से तारीखों का ऐलान हुआ. विधानसभा चुनाव 10 फरवरी से 7 मार्च के बीच कुल 7 चरणों में होंगे. इसके लिए जिन 5 राज्यों में चुनाव होने हैं-  

उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, पंजाब और मणिपुर शामिल हैं.

इन सभी राज्यों में विधानसभा चुनावों के परिणाम 10 मार्च को आने हैं।

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सात चरणों में होंगे चुनाव

चुनाव आयोग की तरफ से आए बयान में बताया गया कि आगामी विधानसभा और उत्तरप्रदेश चुनाव सात चरणों में कराये जाएंगे.

मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चन्द्रा ने बताया कि, पहले चरण का चुनाव 10 फरवरी को होगा, इसके बाद 14 फरवरी को पंजाब, उत्तराखंड  और गोवा  में एक चरण में वोटिंग होगी.

हालांकि चुनाव आयोग ने पंजाब की सभी 117 सीटों पर अब 14 फरवरी की जगह 20 फरवरी को मतदान कराने का फैसला किया है. सभी दलों के साथ बैठक के बाद चुनाव आयोग ने पोलिंग डेट आगे बढ़ाने का फैसला लिया है. बता दें कि 16 फरवरी को रविदास जयंती का हवाला देते हुए राजनीतिक दलों ने चुनाव कुछ दिन टालने की मांग की थी.

उसके बाद दो चरणों में 27 फरवरी और 3 मार्च को मणिपुर में वोटिंग होगी. 7 मार्च को पांच राज्यों में वोटिंग समाप्त हो जाएगी, जिसके बाद 10 मार्च को मतगणना होगी.

14 मई को उत्तरप्रदेश विधानसभा का कार्यकाल खत्म हो जाएगा. 23 मार्च को उत्तराखंड और पंजाब विधानसभा का कार्यकाल भी पूरा हो जाएगा, 15 मार्च को गोवा विधानसभा और 19 मार्च को मणिपुर विधानसभा का कार्यकाल भी पूरा हो रहा है.

उत्तर प्रदेश में 403 सीटों पर 10 फरवरी को पहले चरण, 14 फरवरी को दूसरे चरण, 20 फरवरी को तीसरे चरण, 23 फरवरी को चौथे चरण, 27 फरवरी को पांचवें चरण,3 मार्च को छठे चरण और 7 मार्च को सातवें चरण का मतदान होगा.

यूपी में इस बार भी चुनाव पिछली बार की तरह पश्चिमी यूपी से शुरू होंगे, पहले चरण की शुरुआत पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों से होगी और धीरे-धीरे बढ़ते हुए पूर्वी उत्तर प्रदेश पर जाकर समाप्त होगा. पहले चरण में 58 और आखिरी चरण में 64 विधानसभा सीटों में वोटिंग होगी. उत्तरप्रदेश में चुनाव का आखिरी चरण पूर्वांचल में होगा.

पहला चरण

14 जनवरी को नोटिफिकेशन

21जनवरी लास्ट डेट नॉमिनेशन

10 फ़रवरी को मतदान

पहले चरण में उत्तरप्रदेश की पश्चिमी सीटों पर मतदान होगा जिसमें

कैराना, बुढ़ाना, हस्तिनापुर, मेरठ, बागपत, मुरादनगर, गाजियाबाद, बुलंदशहर, नोएडा, अलीगढ़ आगरा और मथुरा समेत 58 अहम सीटों पर चुनाव होंगे.

दूसरा चरण

21 जनवरी नोटिफिकेशन

28 जनवरी लास्ट डेट नॉमिनेशन

14 फ़रवरी को मतदान

तीसरा चरण

25 जनवरी नोटिफिकेशन

1 फ़रवरी लास्ट डेट नॉमिनेशन

20 फ़रवरी को मतदान

चौथा चरण

27 जनवरी को नोटिफिकेशन

3 फ़रवरी लास्ट डेट नॉमिनेशन

23 फ़रवरी को मतदान

पांचवा चरण

1 फ़रवरी नोटिफिकेशन

8 फ़रवरी लास्ट डेट नॉमिनेशन

27 फ़रवरी को मतदान

 

छठा चरण

3 फ़रवरी नोटिफिकेशन

11 फ़रवरी लास्ट डेट नॉमिनेशन

3 मार्च को मतदान

सातवां चरण

10 फ़रवरी को नॉमिनेशन

17 फ़रवरी लास्ट डेट नॉमिनेशन

7 मार्च को मतदान

सातवें यानी आखिरी चरण में पूर्वी उत्तरप्रदेश की वाराणसी, आज़मगढ़, मऊ, जौनपुर, गाज़ीपुर सीटों पर मतदान होंगे

देश का भविष्य तय करेंगे विधानसभा चुनाव

देश के कई बड़े राजनेता, स्वतंत्रता सेनानी और प्रधानमंत्री उत्तरप्रदेश से ही उभर कर आए हैं.

उत्तर प्रदेश क्षेत्रफल के हिसाब से भी देश का सबसे बडा राज्य है. ये वजह भी है कि उत्तर प्रदेश पर सभी पार्टियां अपनी जीत तय करना चाहती हैं. चाहे वो राष्ट्रीय पार्टियां हो जैसे सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस या सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी या क्षेत्रीय पार्टियां जैसे बसपा या सपा सभी के लिए उत्तर प्रदेश बहुत महत्वपूर्ण है.

देश की राजनीति में 1 कहावत मशहूर है… वो है, उत्तर प्रदेश की राजनीति तय करती है देश का अगला प्रधानमंत्री कौन होगा या कौनसी पार्टी अगला लोक सभा चुनाव जीतेगी. इस प्रकार से यह कहा जा सकता है कि 2024 में कौन प्रधानमंत्री होगा यह भी उत्तर प्रदेश चुनाव के नतीजों से निर्धारित हो सकता है।  

सूबे के मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बीच कड़ी टक्कर दिखने की संभावना है.

इनके साथ ही अलग अलग संस्थाओं से ओपिनयन पोल भी निकाले जा रहे हैं, जिनमें यूपी चुनाव में बीजेपी और सपा में कड़ी टक्कर दिखाई जा रही है. हालांकि इन ओपिनयन पोल की विश्वसनीयता पर सवाल उठते रहे हैं. यूपी को छोड़ अन्य राज्यों पंजाब, गोवा में बीजेपी को काफी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है. अब यह तो 10 मार्च की मतगणना से ही पता चलेगा कि जनता ने किस पार्टी पर अपना भरोसा दिखाया है.

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

About the Author

सुमित
सुमित वीडियो जर्नलिस्ट के साथ -साथ समसामयिक मुद्दों पर लेखन भी करते हैं।

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