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प्रिया सिन्हा

मेरी जिंदगी (कविता)

जितना ही मैं अपनी समस्याओं को सुलझाने की कोशिश करती हूँ, उतना ही अत्यधिक उलझनों में मुझे उलझाती जा रही मेरी जिंदगी; चाहती तो हूँ मैं भी खूब हँसना-मुस्कुराना दिल से हर-दिन, हर-पल, मगर अब…


आज की नारी (कविता)

-प्रिया सिन्हा आज की नारी कहती – मुझे किसी के भी स्नेह भरी छाँव की जरूरत नहीं, अब अकेले ही इस कड़ी धूप में पिघलने दो मुझे सब करीबी लोगों का सानिध्य बहुत पा लिया,…


कविताः मेरी सच्ची इबादत है

-प्रिया सिन्हा  आज अभी हर-पल, हर-क्षण बस यही सोच रही हूँ मैं, कि सबके सामने अपने प्यार का इजहार कर दूं; चीख-चीख कर सब लोगों को बताऊं और खुद ही, सबके सामने अपने प्यार का…


कविताः हमारा तिरंगा

-प्रिया सिन्हा तिरंगे के तीन रंग  केसरिया रंग सदा ही बल भरने वाला आगे बढ़ते रहने को प्रेरित करने वाला मेहनत का फल देने वाला करने पर अथक प्रयास सफलताएं मिलती इतनी ऊँची जितना ऊँचा…