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मत आना सखी तुम मत आना

तस्वीरः गूगल साभार

मत आना सखी तुम मत आना

ये दुनिया नहीं है तेरे काम की,

यहाँ भारी कमी है नारी के सम्मान की,

ये तय है,

पैदा होने से पहले साजिश होगी तुम्हारी हत्या की,

और जो गलती कर तुम आ भी गयी,

तो यक़ीनन कचरे के ढेर में फेंक दी जाओगी,

इससे बेहतर है कि

मत आना सखी तुम मत आना|

 

ये दुनिया है हर क्षण दिखावे की,

ये पूजा करेगी लक्ष्मी की,

और शोषित भी होगी घर की लक्ष्मी ही,

पहली है गुजारिश कि तुम मत आना,

और जो गलती कर तुम आ भी गयी,

तो परिस्थिति देख बिलख पड़ोगी,

इससे बेहतर है कि

मत आना सखी तुम मत आना|

 

ये दुनिया है कायरों की,

शेर का चोगा ओढ़े गीदड़ों की,

कि पहले पहल कुछ यूँ होगा,

माँ की कोख में लिंग चुनाव सहोगी,

जो बाहर आयी भी तो लड़का-लड़की में अंतर देखोगी तुम,

बचपन से ही दो परतों का खेल समझोगी तुम,

पर गलती कर जो तुम आ भी गयी,

यक़ीनन हर मोड़ पर खुद को कोसोगी तुम,

इससे बेहतर है कि

मत आना सखी तुम मत आना|

 

ये दुनिया है मतलबियों की,

कुछ जानलेवा किस्सों की,

यूँ ही पड़ी मिल सकती हो किसी पटरी के किनारे में,

जो ये भी न हो पाया,

तो डाल दी जाओगी किसी नाले के कोने पे,

जो भला हुआ कोई तो,

रख दी जाओगी किसी अस्पताल के दुआरे में,

पर जो गलती कर तुम आ भी गयी,

यक़ीनन कपड़ों में लिपटी भी मिल सकती हो किसी झाड़ के पीछे,

इससे बेहतर है की

मत आना सखी तुम मत आना|

 

शायद इनको तुमसे कुछ कड़वाहट हो,

इनके मन में जल्लादों की मिलावट हो,

बेटी की आत्मा में देवी की हत्या करते हैं ये,

इनकी दोगलेपन की दुनिया इन्हें ही मुबारक हो,

पर जो गलती कर तुम आ भी गयी,

शिकार बन कर रह जाओगी इनके पुरुषत्व का,

इससे बेहतर है कि

मत आना सखी तुम मत आना|

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

About the Author

प्रज्ञा त्रिपाठी
लेखिका कविता लिखने का शौक रखती हैं।

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