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कविताः भगवे और हरे को मिला एक नया रंग बना दें

सांकेतिक तस्वीर, गूगल साभार

-दिगम्बर नासवा

रंगों के नए अर्थ …

चलो रंगों को नए अर्थ दें

नए भाव नए रंग दें

 

खून के लाल रंग को

पानी का बेरंग रंग कहें

(रंगों की विश्वसनीयता बरकरार रखने के लिए)

 

सफ़ेद को नीला

(आँखों को गहराई तो मिले)

धूप को काला

(अधिकतर लोगों के कर्मों को सार्थकता देने के लिए)

और काले को पीला कर दें

(कम से कम अंधेरों में रहने वाले

उज्ज्वल भविष्य का एहसास तो कर लें)

 

सफेद रंग को सिरे से मिटा दें

अर्थ हटा दें

भविष्य के लिए शब्द-कोष में सुरक्षित कर दें

(बदनामी से तो बचा रहेगा बेचारा)

 

संभव हो तो इंद्र-धनुष के सात रंगों को मिला कर

बेरंग सा एक रंग कर दें

(“मेरे” “तेरे” रंग से बचाने के लिए)

 

भगवे और हरे को मिला

एक नया रंग बना दें

उसे “भारत” नाम दे दें …

(रचनाकार दिगम्बर नासवा जी स्वप्न मेरे नाम से ब्लॉग लिखते हैं। आपका ईमेल पता dnaswa@gmail.com है)

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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