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मोदीजी, योगीजी! प्लास्टिक बैन पर बेहतर क्रियान्वयन जरूरी है

सांकेतिक तस्वीर

योगी सरकार ने आगामी 15 जुलाई से उत्तर प्रदेश में प्लास्टिक के उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश जारी किया है। निर्धारित तिथि से न सिर्फ 50 माइक्रॉन तक की पॉलीथिन बल्कि प्लास्टिक के कप व गिलास के इस्तेमाल पर भी रोक होगी। प्लास्टिक से पर्यावरण को होने वाले नुकसान के मद्देनजर योगी सरकार का यह फैसला सराहनीय है। सरकारी आदेश के मुताबिक, यदि कोई प्लास्टिक का इस्तेमाल करते हुए दिखता है तो उसे 50 हजार रुपये का दंड देना होगा। इस निर्देश के बाद उत्तर प्रदेश देश का 26वां राज्य हो गया है, जहां किसी न किसी तरह से पॉलीथिन पर बैन लगाया गया है। हालांकि, जनवरी 2016 से यह तीसरी दफा है जब उत्तर प्रदेश में पॉलीथिन के प्रयोग पर रोक लगाई गई हो, मगर औद्योगिक घरानों के दबाव और इच्छाशक्ति के अभाव में अबतक बेहतर क्रियान्वयन की कमी देखी गई है। उम्मीद की जा रही है कि इस बार राज्य सरकार इस फैसले को बेहतर तरीके से लागू कर पाएगी और उल्लंघनकारियों के खिलाफ कार्रवाई में कोई ढील नहीं बरतेगी।

मोटा जुर्माना न बने फैसले के गले की फांस

कुछ लोगों का कहना है कि 50 हजार रुपये का जुर्माना बहुत अधिक है। इसे कुछ कम किया जाना चाहिए, क्योंकि अधिक जुर्माना होने के कारण उल्लंघनकारी कुछ रिश्वत आदि देकर स्वयं को बचाने की कोशिश करेगा। चूंकि हमारे सिस्टम में लेन-देन बहुत ही आम बात हो गई है तो इस आशंका को खारिज नहीं किया जा सकता है।

महाराष्ट्र सरकार का यूटर्न

अभी कुछ दिनों पहले महाराष्ट्र में भी पॉलीथिन के प्रयोग पर रोक लगा दी गई थी, लेकिन औद्योगिक घरानों के दबाव के बाद देवेंद्र फडणवीस सरकार को फैसले के एक हफ्ते के अंदर ही यूटर्न लेना पड़ा। महाराष्ट्र सरकार ने नया आदेश पारित करते हुए ई-कॉमर्स कंपनियों को प्लास्टिक बैन से तीन माह की राहत प्रदान की है। हालांकि, सरकार का कहना है कि इन तीन माह में ई-कॉमर्स कंपनियां पैकेजिंग के लिए इस्तेमाल में आने वाली पॉलीथिन को एकत्र करके उनका निपटान करेंगी। इसके साथ ही पैकेजिंग के लिए पॉलीथिन के स्थान पर नया विकल्प खोजेंगी।

प्लास्टिक से होने वाला नुकसान

सबसे पहले बता दें कि एक प्लास्टिक का थैला जमीन में पूरी तरह से विघटित होने में 100 से 500 वर्ष का समय लेता है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि हम प्लास्टिक से पर्यावरण को होने वाली हानि को किस तरह से नजरअंदाज कर रहे हैं। प्लास्टिक न सिर्फ मृदा और वायु प्रदूषण फैलाता है बल्कि यह नभचर, थलचर और उभयचर के लिए भी घातक है। कुछ दिनों पहले खबर आई थी कि दिल्ली में एक ब्लैक स्टॉर्क पक्षी की चोंच में प्लास्टिक का छल्ला फंस गया है, जिस कारण वह कुछ भी नहीं खा पा रहा है। कई दिनों से भूखे पक्षी को किसी तरह बचाया गया। इसी प्रकार जानवरों और जलीय जीवों के प्लास्टिक खाने से मौत की खबरें भी आए दिन आती रहती हैं। उल्लेखनीय है कि भारत 2022 तक प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण को खत्म करने के लिए संकल्पबद्ध है। इसकी घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पांच जून 2018 यानी विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर की थी, लेकिन सभी राज्यों में प्लास्टिक पर पूर्णतः रोक और बेहतर क्रियान्वयन के बिना यह संकल्प पूरा होना बेहद मुश्किल है। आइये प्लास्टिक बैन पर राज्यों की स्थिति जानते हैः

किन राज्यों में है पूर्णतः रोक

जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र कर्नाटक, छत्तीसगढ़, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश त्रिपुरा और नगालैण्ड।

इन राज्यों में है आंशिक रोक

गुजरात, गोवा, केरल, ओडिशा और पश्चिम बंगाल।

इन राज्यों में नहीं है कोई रोकटोक

बिहार, झारखण्ड, तेलंगाना, आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडु, असम, मणिपुर और मेघालय।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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