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एमएचआरडी विश्वविद्यालय के शिक्षकों को शिक्षक नहीं मानता!

देशभर के मान्यता प्राप्त प्राथमिक विद्यालय, मध्य, उच्चतर माध्यमिक स्तर के स्कूलों में कार्यरत प्राचार्य और शिक्षकों को सम्मानित करने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) ने आवेदन आमंत्रित किए हैं। यह आवेदन 30 जुलाई 2018 तक स्वीकार किए जाएंगे। इसके बाद यह सम्मान पांच सितंबर को ‘शिक्षक दिवस ‘के अवसर पर प्रदान किए जाएंगे। बता दें कि इस आवेदन में एमएचआरडी ने विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में अध्यापन कार्य करने वाले शिक्षकों को शिक्षक नहीं माना है, यदि ऐसा नहीं है तो उन्होंने शिक्षक दिवस पर शिक्षकों को सम्मान देने के लिए जो आवेदन मांगे हैं उनमें प्राथमिक से उच्च माध्यमिक स्तर के शिक्षकों को ही शामिल क्यों किया गया है।

दिल्ली विश्वविद्यालय विद्वत परिषद के सदस्य प्रो हंसराज सुमन ने शिक्षक दिवस पर राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान योजना के लिए विश्वविद्यालयों के शिक्षकों को शामिल न करने पर बेहद चिंता जताते हुए कहा है कि देशभर के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में (958 शिक्षण संस्थान) लगभग 15 लाख शिक्षक कार्यरत्त है जो विभिन्न विभागों और कॉलेजों में अध्यापन कार्य करते हैं। उन्हें भी सरकार द्वारा राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान के योग्य माना जाना चाहिए क्योंकि जिस व्यक्ति के नाम पर यह सम्मान दिया जा रहा है, वह विश्वविद्यालय में शिक्षक थे और विश्वविद्यालयों व कॉलेजों के शिक्षकों को इस योग्य नहीं माना जा रहा है।

सन 1958 से मिल रहा है पुरस्कार
उत्कृष्ट एवं प्रतिभाशाली शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार की योजना वर्ष 1958 में प्रारम्भ हुई थी।देश के राष्ट्रपति हर साल पांच सितंबर को शिक्षक दिवस पर प्रतिभाशाली शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित करते हैं। उनका कहना है कि यह सम्मान इसलिए दिया जाता है कि अन्य शिक्षक भी उनसे प्रेरणा लेकर आगे बढ़ें। सन 2001से स्कूलों में निःशक्त बच्चों की शिक्षा को प्रोत्साहित करने वाले शिक्षकों के लिए 43 विशेष पुरस्कार तय किए गए हैं।

विश्वविद्यालयों व कॉलेजों के शिक्षकों को भी सम्मान दिए जाने की मांग
प्रो सुमन ने एमएचआरडी मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर से मांग की है और कहा है कि अभी भी समय है राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान के लिए विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के शिक्षकों से आवेदन आमंत्रित किए जा सकते हैं। इसके लिए मंत्रालय उच्च स्तरीय एक सात सदस्यीय कमेटी गठित करें और समाचार पत्रों, रेडियो, टीवी चैनलों पर पहले इसका प्रचार प्रसार करे। इसके लिए विज्ञापन और मेल द्वारा आवेदन आमंत्रित कर मंगवाए जा सकते हैं। पहली बार थोड़ी दिक्कतें आएंगी लेकिन, आम जनता के बीच इसका संदेश अच्छा जाएगा। शिक्षकों का सम्मान भी होगा और एक नयी योजना की शुरुआत होगी।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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