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यूजीसी के निर्देश पर डीयू में परास्नातक स्तर पर अब सीबीसीएस पाठ्यक्रम

लगभग 30 से अधिक पाठ्यक्रम स्थायी समिति में हुए पास, स्थायी समिति के बाद अकादमिक परिषद में होंगे ये पाठ्यक्रम पास

दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में शैक्षिक मामलों को देखने वाली स्थायी समिति (स्टैंडिंग कमेटी) की काउंसिल हॉल में मंगलवार को 11:30 बजे से  बैठक शुरू हुई। बैठक में परास्नातक पाठ्यक्रमों में यूजीसी के निर्देशों को स्वीकार करते हुए कहा गया कि चयन आधारित क्रेडिट पद्धति (सीबीसीएस) के अनुसार पाठ्यक्रम तैयार करके इसे स्टैंडिंग कमेटी के बाद अकादमिक परिषद (एकेडेमिक काउंसिल) में पास करने के बाद ही लागू किया जा सकता है। आज की बैठक में विभिन्न विभागों में परास्नातक (पोस्ट ग्रेजुएट) स्तर पर पढ़ाए जाने वाले लगभग 30 से अधिक विषयों को पास किया गया।

बैठक शुरू होने से पहले कमेटी के सदस्यों ने सुझाव दिया है कि परास्नातक दो वर्षीय पाठ्यक्रम के अंतर्गत प्रत्येक विभाग ने अपने अलग-अलग क्रेडिट दिए हैं। चार सेमेस्टर में चलने वाले इस पाठ्यक्रम के सभी विषयों में बराबर क्रेडिट हों। साथ ही विभाग अपने छात्रों को विकल्प चुनने के लिए, अपने विभाग या अन्य विभागों से पाठ्यक्रम चुन सकें।

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कमेटी के सदस्य प्रो. हंसराज सुमन ने एमए हिंदी के पाठ्यक्रम के अंतर्गत कमेटी से कहा है कि वह छात्रों के लिए ऐसा पाठ्यक्रम डिजाइन करे जो भविष्य में छात्रों के लिए लाभदायक सिद्ध हो। साथ ही छात्रों को अन्य विभागों से पाठ्यक्रम चुनने की पूरी आजादी हो तभी सीबीसीएस के साथ न्याय हो पायेगा। उन्होंने इंग्लिश डिपार्टमेंट द्वारा तैयार किये पाठ्यक्रम में दलित आधुनिक कवियों में उत्तर भारत के कवियों को पाठ्यक्रम में शामिल न करने पर चिंता जताई। इसके बाद उन्होंने कुछ कवियों के नाम सुझाया जिसमें कमेटी ने कहा उनके नाम व कवियों की कविता विभाग को दें, उसके बाद उसे स्वीकार कर लिया जायेगा। इसमें मोहनदास नैमिशराय की कुछ प्रसिद्ध कविताएं और जय प्रकाश लीलवान और अछूतानंद के नाम बताये  गए, जिसे स्वीकार कर लिया गया।

स्थायी समिति में सीबीसीएस के अंतर्गत एमए दो वर्षीय पाठ्यक्रम में पास हुए पाठ्यक्रम में एमए इंग्लिश, एमए हिंदी, एमए पर्सियन, एमए साइकोलॉजी, एमए एप्लाइड साइकोलॉजी, एमए पंजाबी, एमए रशियन, एमए उर्दू, एमए अरेबिक, मास्टर ऑफ़ लाइब्रेरी साइंस, बीए जर्मन स्टडी, बीए फ्रेंच स्टडी, बीए इटेलियन स्टडी, बैचलर ऑफ लाइब्रेरी साइंस आदि में स्नातक स्तर (अंडर ग्रेजुएट) पर कुछ बदलाव किया है।

साथ ही कुछ अन्य विषयों को पास किया गया, जिनमें एमए संस्कृत, एमए बुद्धिस्ट स्टडीज, एमए लाइफ लॉन्ग लर्निंग एंड एक्सटेंशन, एमए इटेलियन, एमए फ्रेंच, एमए जर्मन, एमए फिलॉसफी, एमए बंगाली, एमए तमिल, एमए कम्प्रेटिव इंडियन लिट्रेचर, एमए ईस्ट एसियन स्टडी, एमए भूगोल, एमए पॉलिटिकल साइंस, एमए सोशल वर्क के अलावा विभिन्न कॉलेजों /विभागों में चलाए जा रहे पार्ट टाइम सर्टिफ़िकेट कोर्स भी शामिल हैं। पार्ट टाइम के ये पाठ्यक्रम मिरांडा हाउस, श्री वेंकटेश्वर कॉलेज, श्री गुरु गोबिंद सिंह कॉलेज ऑफ कॉमर्स आदि में चलाए जाएंगे।

प्रो सुमन के अनुसार सीबीसीएस के तहत बनाए गए एमए इतिहास के पाठ्यक्रम को लेकर दो घंटे तक बहस चली।  इतिहास विभाग की ओर से 43 विषयों को रखा गया था। इसी में से छात्रों को चुनाव करना है कि क्या पढ़ना है क्या नहीं? इस विषय पर काफी समय तक बहस चली। साथ ही पाठ्यक्रम में दो लेखकों को लेकर सदस्यों ने उन पुस्तकों को हटाने के लिए अनुरोध किया। काफी बहस के बाद इतिहास के पाठ्यक्रम को वापिस कर दिया गया। लंबी चर्चा के बाद इसे फिर से बदलकर लाने के लिए कहा गया।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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