वाराणसी से महागंठबंधन के उम्मीदवार तेज बहादुर के नामांकन रद्द करने के मामले में तेज बहादुर की याचिका पर गुरुवार को उच्चतम न्यायालय सुनवाई करेगा। उच्चतम न्यायालय ने चुनाव आयोग को इस याचिका पर अपना रुख बताने को कहा है। गौरतलब हो कि वाराणसी में 19 मई को चुनाव होना है। आरोप है कि वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जीत सुनिश्चित हो इसलिए यह नामांकन रद कराया है।
तेज बहादुर का मोदी के खिलाफ निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में खड़े होने और नामांकन रद्द होने तक का सफर
पूर्व सैनिक तेज बहादुर यादव ने 29 अप्रैल को समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन दाखिल किया था। इसे 1 मई को रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि उन्हें 19 अप्रैल, 2017 को सरकारी सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था, लेकिन नामांकन पत्र में निर्वाचन आयोग द्वारा जारी किया गया प्रमाण पत्र नहीं है कि उन्हें भ्रष्टाचार या राज्य के प्रति निष्ठाहीनता के लिए बर्खास्त नहीं किया गया।
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निर्वाचन अधिकारी के अनुसार तेज बहादुर प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने में विफल रहे। क्योंकि जनप्रतिनिधि (आरपी) अधिनियम के तहत उन्हें इस आशय का प्रमाण पत्र देना आवश्यक था कि उन्हें ‘भ्रष्टाचार या राज्य के प्रति निष्ठाहीनता के लिए बर्खास्त’ नहीं किया गया है।’
तेज बहादुर यादव ने अधिवक्ता प्रशांत भूषण के माध्यम से दायर याचिका में कहा है कि निर्वाचन अधिकारी के निर्णय को रद करके शीर्ष अदालत याचिकाकर्ता को हाई प्रोफाइल वाराणसी संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ने की अनुमति दे, जहां 19 मई को मतदान है।
सपा ने शुरुआत में मोदी के खिलाफ शालिनी यादव को टिकट दिया था, लेकिन बाद में उसने प्रत्याशी बदलकर, बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेज बहादुर को वाराणसी संसदीय सीट से उम्मीदवार बनाया था। चुनाव आयोग ने इस संसदीय क्षेत्र से 1 मई को यादव का नामांकन रद्द कर दिया था। वाराणसी के निर्वाचन अधिकारी (आरओ) ने यादव द्वारा दाखिल नामांकन के दो सेटों में अलग-अलग एंट्री को लेकर नोटिस जारी किया था।
चुनाव आयोग के अनुसार ‘भ्रष्टाचारी नंबर वन’ बयान पहली नजर में आचार संहिता का उल्लंघन नहीं
तेज बहादुर यादव ने बताया कि उन्होंने नामांकन पत्र के साथ अपने बर्खास्तगी का आदेश दिया था जिसमें साफ था कि उसे अनुशासनहीनता के लिए बर्खास्त किया गया था। याचिका में ये भी कहा गया है कि रिटर्निंग अफसर ने उन्हें चुनाव आयोग से प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए पर्याप्त समय भी नहीं दिया। बता दें कि रिटर्निंग अफसर ने 30 अप्रैल की शाम 6 बजे उसे नोटिस जारी कर एक मई की सुबह 11 बजे तक ये प्रमाण पत्र लाने को कहा। प्रशांत भूषण की तरफ से दायर याचिका में इस फैसले को मनमाना और दुर्भावनापूर्ण बताया गया है।
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