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तेज बहादुर का मोदी के खिलाफ निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में खड़े होने और नामांकन रद्द होने तक का सफर

वाराणसी से तेज बहादुर यादव उम्मीदवारी आखिरकार बुधवार की दोपहर बाद 3.35 बजे जिला निर्वाचन अधिकारी ने खत्म कर दिया। तेज बहादुर ने कहा कि वह इस फैसले से संतुष्‍ट नहीं हैं और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। वहीं सपा की दूसरी प्रत्‍याशी शालिनी यादव चुनावी मैदान में आ गई हैं। बता दें कि चुनाव आयोग ने नामांकन के वक्त सेना से बर्खास्तगी का पत्र नहीं लगाने को आधार बनाया है।

घटना क्रम सिलसिले वार

पहले निर्दल और बाद में सपा के सिंबल पर नामांकन फार्म दाखिल किया।

बीएसएफ के बर्खास्त फौजी तेज बहादुर यादव को जिला निर्वाचन अधिकारी से नोटिस मिलते ही सपा में हड़कंप मच गया।

सोमवार को नामांकन कराने शालिनी यादव के साथ पहुंचे सपा नेता मंगलवार को तेजबहादुर के साथ नामांकन स्थल पर पहुंचे।

तेज बहादुर के नामांकन फार्म को वैध कराने के लिए सपा नेता अधिकारियों से संपर्क करने के साथ मौके पर डटे रहे।

बावजूद इसके जिला निर्वाचन अधिकारी ने उन्हें नोटिस जारी कर एक मई को सुबह 11 बजे तक मोहलत देते हुए जवाब मांगा गया था।

वाजिब जवाब नहीं मिला और आखिरकार फॉर्म को खारिज कर दिया गया।

संशय के बाद बुधवार दोपहर 1.35 बजे तेजबहादुर यादव को निर्वाचन कार्यालय में बुलाया गया।

दोपहर 2.35 बजे स्थिति कुछ और स्‍पष्‍ट हुई जब और जिला निर्वाचन अधिकारी कार्यालय से उनके वकील बाहर आए और बताया कि जो होगा अच्‍छा होगा।

साढ़े तीन बजे सपा प्रत्‍याशी ने वाराणसी से अपना नामांकन रद होने की सूचना स्‍वयं मीडिया को देते हुए फैसले से असंतोष जाहिर किया।

तेजबहादुर ने सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही।

सिलसिलेवार वीडियो कह रही कहानी

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क्यों खारिज हुआ नामांकन

तेज बहादुर ने पहले निर्दलीय पर्चा भरा था उसमे उन्होंने सेना से अपने निकाले जाने के कारण को ‘हां’ के जवाब में भरा था और बाद में जब सपा से नामांकन किया तो उसमे उसी कालम में ‘न’ लिख दिया।

फ़ार्म के स्क्रूटनी के दौरान इसी बात का स्पष्टीकरण मांगा गया साथ ही नियम का हवाला देते हुए चुनाव आयोग से एक सर्टिफिकेट लाने को कहा गया जो तेज बहादुर नहीं दे पाए।

ज़िला निर्वाचन अधिकारी और वाराणसी के रिटर्निंग अफसर सुरेंद्र सिंह की ओर से भेजे गए नोटिस में कहा गया कि जब तेज बहादुर यादव ने बतौर निर्दलीय अपना नामांकन भरा था तो पर्चे में दिए गए प्रावधान- “क्या आपको सरकारी सेवा से भ्रष्टाचार या देशद्रोह के आरोप में कभी बर्ख़ास्त किया गया है?” इसके जवाब में तेज बहादुर ने पहले नामांकन पत्र में ‘हाँ’ लिखा था।

लेकिन तेज बहादुर ने जब 29 अप्रैल को दूसरा नामांकन भरा तो उसके साथ उन्होंने एक शपथ पत्र दायर किया। इस हलफ़नामे में उन्होंने कहा कि 24 अप्रैल को जो नामांकन पत्र दाखिल किया था उसमे ‘हाँ’ ग़लती से लिख दिया था।

बीबीसी ने छापा है कि चुनाव आयोग के एक अधिकारी के अनुसार जन प्रतिनिधित्व अधिनियम में प्रावधान है कि हर वो केंद्र या राज्य सरकार का कर्मचारी जिसकी सेवा किसी भी आरोप में बर्खास्त की गयी हो, वो पांच सालों तक चुनाव नहीं लड़ सकता है।

गौरतलब हो कि वाराणसी लोक सभा की सीट से दाखिल कुल 101 नामांकन पत्रों में से 71 नामांकन पत्रों को ख़ारिज कर दिया गया है।

निर्वाचन अधिकारी की त्रुटि सोशल मीडिया पर वायरल: एक ओर जिला निर्वाचन ने त्रुटि पर तेज बहादुर यादव को नोटिस जारी की वहीं दूसरी ओर जिला निर्वाचन अधिकारी की ओर से एक भारी त्रुटि भी नोटिस में कर दी गई। जारी नोटिस में दिनांक 01-05-2109 कर दिया गया। जबकि यह वर्ष 2019 होना चाहिए था। सूचना वायरल होने के बाद देर रात डीएम ने इस सूचना में सुधार कराया। तब तक यह त्रुटि सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी थी। वहीं तेजबहादुर के समर्थकों की ओर से भी इस लापरवाही के लिए जिला प्रशासन को सोशल मीडिया में कठघरे में खड़ा किया जा रहा है।

तेज बहादुर यादव ने लगाया आरोप: तेज बहादुर का कहना है कि बीएसएफ की तरफ से चुनाव आयोग को पत्र दिया जा चुका है कि अनुशासन हीनता में उनको बर्खास्‍त किया गया था। इसमें किसी भी प्रकार से चुनाव लड़ने पर रोक नहीं है। वहीं उन्‍होंने आरोप लगाया कि पीएमओ के इशारे यह सब हो रहा है।

तेज बहादुर कितना तेज

लोकसभा चुनाव लूडो गेम की तरह हो गया। एक आगे निकल रहा हो और वह बार-बार जीत रहा हो तो उसे पीछे करने के लिए बाकि के 3 मिलकर घेरने की रणनीति बना लेते होंगे। अब कटा, तब कटा और इसी के साथ खेल में दिलचस्प मोड़ आ जाता है। राजनीति भी कुछ इसी तरह की हो गई है। यहां एक शख्स को लूडो गेम की तरह नाम के आधार पर घेरा जा रहा है।

लोकसभा चुनाव 2019 बस एक नाम पर ही टिका हुआ है। ऐसी कोई बात नहीं है कि यह पहली बार हो रहा है, क्योंकि इससे पहले भी इंदिरा गांधी के समय को भी इसी तरह देखा जा सकता है। जब चुनाव में केवल एक नाम पर लोग वोट देने के लिए तैयार हो जाते रहे हों। उसके किसी भी असत्य और निराधार बात को मानने वालों को भक्त मान लिया जाता हो। इसी तरह तथाकथित चाय वाला और चौकीदार का मामला भी सामने है। इन्होंने तो सेना की बजाय अपने आपको यह कह दिया कि मैंने पाकिस्तान तक घुस कर सेना को भगा दिया।

बात यह है कि मोदी जी ही सेना का श्रेय खुद ले रहे हैं औऱ इसलिए ही वो वोट मांग रहे हैं। इतना शर्मनाक और क्या हो सकता है।

बात कर रहे हैं। मोदी जी के संसदीय क्षेत्र बनारस की जहां पर इस वक्त असली और नकली चौकीदार के नाम पर वोट मांगा जा रहा है। मामला दिलचस्प तब हो गया जब निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर बनारस से लड़ रहे तेजबहादुर को सपा का समर्थन मिल गया और गठबंधन की उम्मीदवार शालिनी यादव को वहां से बिठा दिया गया। हालांकि ऐसा पिछली बार भी 2014 के लोकसभा चुनाव में हुआ था जब मोदी के विरोध में आम आदमी पार्टी से केजरीवाल लड़े थे और उन्हें लगभाग 2 लाख वोट प्राप्त हुए और मोदी को लगभग 5.8 लाख वोट मिले। जबकि वहीं कांग्रेस से अजय राय को 75 हजार पर ही संतोष कर लेना पड़ा।

इस बार केजरीवाल की जगह टक्कर केवल अब तेजबहादुर और मोदी का ही रह गया था।

तेजबहादुर हैं कौन

यह नाम आपको याद होगा जब दो साल पहले बीएसएफ़ जवान तेज बहादुर यादव का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था।

वीडियो में तेज बहादुर फ़ौजियों को मिलने वाले खाने की शिकायत कर रहे थे। वो बता रहे थे कि उन्हें कैसी गुणवत्ता का खाना दिया जाता है।

तेज बहादुर ने बताया था कि अफसरों से शिकायत करने पर भी कोई सुनने वाला नहीं है यहां तक कि गृहमंत्रालय को भी चिट्ठी लिखी लेकिन, इस मामले में कुछ नहीं हुआ।

इस वीडियो के वायरल होने के बाद बीएसएफ़ समेत राजनीतिक गलियारों में कुछ दिन तक हलचल मच गई थी। बीएसएफ़ ने इस मामले की जांच के आदेश दिए थे और बाद में तेज बहादुर को बीएसएफ़ से निकाल दिया गया था।

सोशल मीडिया पर खास फॉलोवर्स नहीं

तेजबहादुर किसी अच्छे अमीर परिवार से नहीं आते हैं। यहां तक कि वो सोशल मीडिया पर भी कुछ खास सक्रिय नहीं हैं। खबर लिखे जाने तक फेसबुक पेज पर तेजबहादुके के 59557 लाइक थे। इस पर कुछ खास अपडेट भी नहीं था।

इंस्टाग्राम पर 52 फॉलोवर्स हैं।

 

इसी तरह ट्विटर पर 3488 फॉलोवर्स ही हैं।

 

 

 

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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About the Author

प्रभात
लेखक फोरम4 के संपादक हैं।

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