दिल्ली विश्वविद्यालय/कॉलेजों में रोस्टर का मुद्दा थमने का नाम नहीं ले रहा है। कॉलेजों में इसे लेकर अफरा-तफरी मची हुई है, कोई अधिकारी नहीं जानता कि रोस्टर रिकास्ट कैसे होगा। जानकारी के अभाव में कॉलेजों के प्राचार्यों की कक्षाएं कुलपति/प्रशासन के पास लग चुकी हैं। लेकिन, समाधान वही ढाक के तीन पात की तरह ही है। इस मुद्दे के समाधान के लिए टीचर्स एसोसिएशन ने एमएचआरडी, संसदीय समिति और यूजीसी के चेयरमैन को पत्र लिखा है। अब देखना यह है कि यह मुद्दा सुलझता है या कॉलेजों के सामने संकट पैदा करेगा। यह पत्र इसलिए है ताकि इसके समाधान जल्द निकलें और आगामी शैक्षिक सत्र से पूर्व ईडब्ल्यूएस कोटे के उम्मीदवारों की नियुक्तियां कॉलेजों में हों।
ऑल इंडिया यूनिवर्सिटीज एंड कॉलेजिज एससी, एसटी, ओबीसी टीचर्स एसोसिएशन के नेशनल चेयरमैन प्रो. हंसराज ‘सुमन’ ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय, अनुसूचित जाति, जनजाति संसदीय समिति, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति, जनजाति आयोग और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के चेयरमैन को आरक्षण रोस्टर को सभी केंद्रीय, राज्य व मानद विश्वविद्यालयों में सख्ती से लागू करने संबंधी पत्र लिखा है। उन्होंने मांग की है कि शिक्षकों की नियुक्तियों में अखिल भारतीय स्तर पर एक जैसा आरक्षण मॉडल रोस्टर बनाकर सभी विश्वविद्यालयों के उपकुलपतियों, कुलसचिवों, कॉलेज प्राचार्यों को भेजा जाए ताकि उसी के आधार पर रोस्टर को रिकास्ट किया जा सके।
प्रो. सुमन ने पत्र में लिखा है कि जब से केंद्र सरकार ने सामान्य वर्गों के आर्थिक रूप से पिछड़े अभ्यर्थियों को 10 फीसद आरक्षण (ईडब्ल्यूएस के तहत) देने का प्रावधान किया है तभी से देशभर के विश्वविद्यालयों में रोस्टर रिकास्ट को लेकर अफरा-तफरी मची हुई है। यह अफरा-तफरी सबसे ज्यादा देश के सबसे बड़े केंद्रीय विश्वविद्यालय दिल्ली विश्वविद्यालय व उससे सम्बद्ध कॉलेजों में है। यहां पर पिछले एक महीने से रोस्टर रिकास्ट को लेकर नॉन टीचिंग के कुछ अधिकारियों द्वारा रोस्टर संबंधी गलत जानकारी दी जा रही है जबकि 10 फीसद आरक्षण संबंधी रोस्टर डीओपीटी ने अपना मॉडल रोस्टर 31 जनवरी को सार्वजनिक कर दिया था। उस रोस्टर की दिशानिर्देश को विश्वविद्यालय स्वीकार न करते हुए अपने दिशानिर्देश को कॉलेज प्राचार्यों व लायजन ऑफिसर्स पर जबरदस्ती थोपना चाहते हैं।
यूजीसी व एमएचआरडी को लिखे पत्र में मांग की गई है कि सामान्य वर्गों के आर्थिक रूप से पिछड़े अभ्यर्थियों के 10 फीसद आरक्षण (ईडब्ल्यूएस के तहत) देने संबंधी डीओपीटी ने 31 जनवरी 2019 को जो मॉडल रोस्टर संबंधी सर्कुलर जारी किया है उसमें यूजीसी डीओपीटी के उसी मॉडल रोस्टर को अपना सर्कुलर लगाते हुए विश्वविद्यालयों व कॉलेजों को निर्देश जारी कर कहे कि इसी “मॉडल रोस्टर “के तहत रोस्टर तैयार कर उन्हें जल्द से जल्द भेजें और 31 मई 2019 तक रोस्टर रिकास्ट कर उसे वेबसाइट पर सार्वजनिक करने संबंधी सख्त चेतावनी दें।
साथ ही यूजीसी के इन नियमों/निर्देशों का पालन न करने वाले विश्वविद्यालयों या कॉलेजों के खिलाफ यूजीसी मीडिया में सार्वजनिक कर उनके अनुदान बंद करने संबंधी सरकार से मांग करे ताकि और विश्वविद्यालय या कॉलेज इससे सबक लें।
प्रो. सुमन ने अपने पत्र में यह भी लिखा है कि 7-8 मार्च को केंद्र सरकार आरक्षण रोस्टर पर 200 पॉइंट रोस्टर पर अध्यादेश लेकर आई थी जिसके तहत 200 पॉइंट पोस्ट बेस रोस्टर बना, यह रोस्टर कॉलेज को एक यूनिट मानकर सीनियरिटी के आधार पर रोस्टर बनाया गया था, लेकिन 28 मार्च 2019 को कॉलेजों को भेजे गए सर्कुलर में रोस्टर रिकास्ट की आड़ में सामान्य वर्गों के आर्थिक रूप से पिछड़े अभ्यर्थियों को 10 फीसद आरक्षण संबंधी(ईडब्ल्यूएस) व्याख्या को विश्वविद्यालय/कॉलेज अपने-अपने ढ़ंग से कर रहे हैं। 10 फीसद आरक्षण सामान्य वर्गों के आरक्षित सीटों में से देने की बजाय विश्वविद्यालय पूरे रोस्टर को फिर से बदलाव कर एससी, एसटी, ओबीसी सीटों को कम करने में लगे हैं। जबकि उनके रोस्टर के साथ छेड़छाड़ नहीं की जानी चाहिए क्योंकि जो मॉडल रोस्टर में पॉइंट्स दिए गए हैं वो इस प्रकार हैं- 10, 21, 31, 43, 50, 62, 70, 83, 90, 98, 110, 122, 131, 142, 150, 164, 170, 181, 190, 196 आदि।
उन्होंने बताया है कि 200 पॉइंट पोस्ट बेस रोस्टर में उपरोक्त सभी पॉइंट्स पहले से ही सामान्य वर्गों के अभ्यर्थियों के हैं। इन्हीं में से उन्हें ईडब्ल्यूएस को 10 फीसदी आरक्षण देकर रोस्टर रिकास्ट करना है। इसमें कहीं भी एससी, एसटी, ओबीसी के एडहॉक शिक्षक बाहर नहीं होते मगर प्रशासन गलत रोस्टर बनाकर आरक्षित वर्गों के एडहॉक शिक्षकों को बाहर निकालने का पूरा प्रयास कर रहा है, जिसकी शिक्षक संघ कड़े शब्दों में निंदा करता है।
साथ ही पत्र में देशभर के सभी विश्वविद्यालयों के उपकुलपति, कुलसचिव और कॉलेजों के प्राचार्यों की अप्रैल में रोस्टर पर वर्कशॉप करवाने का भी जिक्र है।
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