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ऑफ द ईयर (व्यंग्य)       

तस्वीरः गूगल साभार

ऑफ द ईयर की धूम मची है। विगत वर्ष में हिंदी साहित्य में तब सनसनी मच गयी थी जब कुछ प्रयोगधर्मी लोगों ने वर्ष घोषित करने की मांग की। इस वर्ष देखिये वो लोग हिंदी साहित्य को मानव शरीर के किस अंग का वर्ष घोषित करवाने का प्रयास करें। गुजरे वर्ष हिंदी साहित्य में कवि की महानता की एक नई परिभाषा एक वरिष्ठ कवि द्वारा गढ़ी गई। कविवर ने मानक रखा है कि अब हिंदी साहित्य में किसी दिवंगत होने वाले कवि की महानता का पैमाना उसके द्वारा रची गयी कवितायें ही नहीं होंगी। बल्कि महानता का प्रथम पैमाना ये माना जायेगा कि फलाने कवि जो अभी-अभी दिवंगत हुए हैं वो अपने पीछे कितनी विधवाएं छोड़ कर मरे हैं। जिसकी जितनी ज्यादा अनऑफिसियल विधवाएं होंगी वो उतना ही बड़ा कवि माना जायेगा। रचना की गुणवत्ता दूसरा मानक माना जायेगा। जीवन भर उत्कृष्ट कवितायें लिखने वाले कई कवि परेशान हैं कि उन्होंने सर्जना तो बड़ी उत्तम की है, लेकिन इस मानक पर मार खा गए अब इस उम्र में वो ये गुल कैसे खिलाएं। अक्सर मुझसे कर्जा मांगने वाले कवि बावरा जी ने मुझसे पूछा “क्यों बे, मैं महान माना जाऊंगा या नहीं, ये सब तो मैंने कभी किया ही नहीं”। मैंने उन्हें आश्वस्त किया कि भले ही तुम एक नम्बर के बेईमान हो, मेरा पैसा कभी नहीं लौटाते लेकिन, कवि अच्छे हो, मैं तुम्हे महान लिखूंगा तुम्हारे ऑफ होने के बाद, भले ही कोई माने या ना माने, छापे या ना छापे लेकिन, मेरा पैसा ज़रूर दे देना। ये सुनते ही बावरा जी मुस्कराते हुए खिसक लिये। गालिबन इस बरस मिस गलीवाली से लेकर मिस यूनिवर्स तक ने पूरे साल दुनिया भर के युवाओं को हलकान किये रखा।

हिंदी सिनेमा की तमाम मिस सुंदरियां, मिसेज बन गयीं। लगातार फ्लॉप होती फिल्में और मीडिया में घटते उनके क्रेज़ ने किसी मार्केटिंग विशेषज्ञ ने इन सभी को सलाह दी कि शादी कर डालो, स्टारडम लौट आयेगा और इन सुंदरियों की ये योजना काफी कामयाब रही। पुरुष अभिनेताओं में सलमान खान ने लोगों को झांसे में रखा और शादी नहीं की, लोग तो यहां तक कह रहे हैं कि अरबाज को भी चस्का लग गया कि लोग उनकी भी शादी की चर्चा करें शायद इसीलिये उन्होंने अपनी पत्नी मलाइका से तलाक ले लिया और अब अपने से आधी आयु की लड़की के साथ देखे जा रहे हैं। ट्रेड पंडितों ने उन्हें दबंग 3 बनाने के बजाय शादी करने की सलाह दी है जो कि खासा मीडिया कवरेज पा सकता है और उसके सैटेलाइट राइट्स बेचकर वो जुए और सट्टे में कर्जदार हुई रकम की भरपाई कर सकते हैं। उन्होंने सलमान खान से कहा है कि भैया पहले आप शादी कर लो।

सलमान खान अपने छोटे भाई से शादी की रेस सत्रह साल पहले भी हार गए थे और इस बार रेस ३ में रेस हार गये। वैसे सलमान खान इस बात पर गर्व कर सकते हैं कि उनके साथ के अभिनेता शाहरुख और अक्षय कुमार के बेटे-बेटियों के अफेयर के चर्चे शुरू हो गए और वो अब भी चर्चा में हैं। वैसे कांग्रेस के लिये भी ये ईयर बहुत महत्वपूर्ण रहा जहां उनके नेता को लोगों ने पप्पू कहना नहीं छोड़ा, लेकिन विगत वर्ष अंततः पप्पू पास हो ही गया। बस जनेऊधारी, उच्च गोत्र के पचास वर्षीय युवराज को संसद में आंख मारने से परहेज करना चाहिये क्योंकि मंत्री साहिबा ने चेताया है कि बड़े नेताओं को इस बात का खयाल रखना चाहिये कि लोकतंत्र में हर जगह पप्पी -झप्पी का एरिया नहीं होता।

इधर के एक महत्वपूर्ण परिवर्तन हुआ पंडित राहुल गांधी के हाल में करीबी बने चंद्रबाबू नायडू ने ब्राह्मणों पर कृपादृष्टि कर दी। नायडू अनूठे नेता हैं खुद ऊंचे पद पर नौकरी की, मुख्यमंत्री रहे लेकिन, उतना पैसा नहीं कमा पाये जितनी दौलत उनके अबोध पोते के पास है। ये गणित कभी भी भारत की जनता समझ नहीं पाती वैसे मायावती ऐसे आक्षेप को कार्यकर्ताओं का सहयोग कह कर मुक्त होती रही हैं। राहुल गांधी और नायडू की जुगलबंदी ने इस बात को सिद्ध कर दिया कि राजनीति में कोई स्थायी मित्र या स्थायी शत्रु नहीं होता इन्हीं नायडू महोदय पर महाराष्ट्र की कांग्रेस सरकार ने कुछ वर्ष पूर्व लाठीचार्ज करवाया था सच है “साधू समय बड़ा बलवान”। तो नायडू साहब ने अपने राज्य में ब्राह्मणों को कार दिलाने की शुरुआत कर दी है अभी तो लोग दलितों की छोटी-छोटी सुविधाओं पर सवाल उठाते थे लेकिन, कार जैसा उपहार। उम्मीद है मायावती इसे कांग्रेसी मनुवाद की संज्ञा देंगी क्योंकि भाजपाई मनुवाद कहना समय के अनुकूल नहीं चर्चा है कि भाजपा से समर्थन लेने -देने की बात चल रही है। लेकिन, बसपा का समर्थन और पेट्रोल की कीमत पर भविष्यवाणी करना खतरे से खाली नहीं होता।

पूरे साल भारत-पाकिस्तान के रिश्ते खराब रहे लेकिन, साल के अंत में अमिताभ बच्चन ने इसमें सुधार के लिये महत्वपूर्ण पहल की। अभी तक बॉर्डर पर पाकिस्तानी  सैनिक ये पूछ लेते थे कि क्या चल रहा है? और इधर को कोई बन्दा बता देता था कि इंडिया में तो फाग चल रहा है। इसी फाग को सूंघने के चक्कर में मासूम आतकंवादी भारत में घुसपैठ कर लेते थे लेकिन, भारत के सुरक्षा बल ऑपरेशन ऑलआउट भी चलाते हैं, जिसमें मच्छरों की तरह भोले-भाले आतंकवादी और पत्थरबाज उड़ जाते हैं। लेकिन, बॉर्डर पर जाकर हिंदुस्तानी अमिताभ बच्चन ने पाकिस्तानी हमशक्ल अमिताभ से चाय-काफी और लस्सी आफर की है लेकिन, दोनों तरफ के अमिताभ की दोस्ती की शर्त ये, चाय या काफी जो भी पी जायेगी वो सेलो के थर्मस में पी जाएगी। यूनाइटेड नेशन को चाहिये कि वो इन विकल्पों पर विचार करे कि कौन सी कम्पनी के उत्पाद दोनों देशों में दोस्ती करा सकते हैं शर्त बस एक ही है कि उस उत्पाद का प्रचार अमिताभ करें। अमिताभ चाय नहीं पीते हैं लेकिन, पैसा मिले तो चाय का विज्ञापन ज़रूर कर देते हैं। वैसे अमिताभ की ननिहाल सिंध में है, सिंध प्रांत की भारत से दोस्ती का प्रचार कर सकते हैं लेकिन, दिक्कत एक ही है कि सिंध की सरकार उन्हें शायद इस विज्ञापन के उतने पैसे ना दे सके जितने पैसे समाजवादी पार्टी की सरकार उत्तर प्रदेश का इस बात का प्रचार करने के लिये देती थी कि यूपी में जुर्म कम है। लेकिन, पाकिस्तान से इतनी सदाशयता की उम्मीद करना ऐसे ही है जैसे अभिषेक बच्चन की सोलो हीरो की फ़िल्म का हिट होना। पाकिस्तान के वजीरे आज़म साहब ने एक टोटके पर यकीन किया और तीसरी शादी की, गालिबन टोटका सही साबित हुआ और वो वजीरे आज़म बन गये, उनको टोटकों ने सताया की पीएम हाउस की कारों और भैंसों के दूध का उपयोग जिसने किया वो पीएम अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया लिहाजा उन्होंने टोटके वाली सारी कारें और भैंसे बेच डाली कि उनका कार्यकाल पूरा हो जाये, गौरतलब है कि उनकी दोनों बेगमें अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पायीं, सुना है टोटका फिर से सर उठा रहा है कि इमरान की अमेरिका में एक चौथी बेगम भी थीं जिनसे उन्हें सीटा टेरियन नाम की एक बेटी भी है और ये बात उन्होंने अपने चुनावी हलफनामे में छुपायी है और उनका चुनाव निरस्त भी हो सकता है। बिलाल जरदारी इस बात से बहुत खुश हैं कि उनकी सरकार थी तो लोगों ने उनका खूब लुत्फ लिया अफेयर के चटखारों से लिहाज़ा अब वो भी जिम्मेदार विपक्ष की भूमिका निभाएंगे और इस ओल्ड वाइन के शौकीन एक्स प्लेबॉय की मीम वायरल करेंगे। इमरान की नीतियों की तुलना अब दिल्ली के नशेड़ियों की योजनाओं से करने लगे हैं, दोनों योजनाओं में गजब की समानता है या तो घर-बाहर कर्जा मांगो या अपने घर का सामान बेचो, पहले लोग उनको तालिबान खान कहा करते थे अब लोग उनको यू टर्न खान कहते हैं। सिर्फ सौ दिन में वो न्यू पाकिस्तान बना देने की बात करते थे अब पुराने पाकिस्तान को भी गिरवी रख दिया

कैसी मशालें लेकर चले तीरगी में आप 

जो सर पे एक छत थी वो छत नहीं रही

लगता है कि हमारे इब्ने सफी साहब की बात दुनिया भर की कर्जा लेने वाली एजेंसियों ने सुन ली है और गांठ बांध ली है कि पाकिस्तानियों की बात और चीनियों के बाप का भरोसा नहीं करना चाहिये। इसीलिये इमरान के लाख दावों पर भी किसी को एतबार नहीं और कोई फूटी कौड़ी देने को तैयार नहीं। यही हाल कविवर बावरा जी का है जो पूरे साल कर्जा मांगते रहते हैं लोग घर तक आते हैं तो अपने छत से कूदकर घर के पीछे से भाग आते हैं। वो हांफते मगर हंसते हुए मेरे तरफ आ गए। मैंने कहा क्या हुआ। मुझे देखते ही उन्होंने कहा “कुछ नहीं बे, एक तगादेदार कर्जा मांगने आया था। उसी को डाज देकर निकल आया, इस पर एक मजेदार सुन ले बे व्यंग्यकार की दुम

“नदी किनारे कछुआ बैठा, कर्जा ले ले खाय

कर्जा वाले कर्जा मांगे, खिसक नदी में जाय”

“वाह, वाह कविवर वाह” मैंने तारीफ की। वो खींस निपोरते हुए बोले “अच्छा है ना, भाई साहब जरा सौ रुपये देना”

बाखुदा उनका ये इसरार उतना ही मासूम था जितना हुर्रियत का कश्मीर में शांति के लिये प्रयास।

-दिलीप कुमार

(नोट- ये लेखक के निजी विचार हैं, इससे फोरम4 का सहमत होना जरूरी नहीं है)

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Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

1 Comment on "ऑफ द ईयर (व्यंग्य)       "

  1. Badhiya sir ?

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