मेरा मनोचिकित्सक भी आदमी है
मेरे साथ मनोविज्ञान-मनोविज्ञान खेलता है
मुझे मनोविज्ञान-मनोविज्ञान खेलना पसंद नहीं
क्योंकि वो मुझसे झूठ बोलता
कहता है- आदमियों को कोसा न करो
शरीर में टेस्टोस्टेरोन बढ़ जाता है
बेवकूफ़ है वो
उसको नहीं पता कैसे बढ़ता है
बढ़ने पर क्या होता है
ये भी नहीं जानता है!
आदमी है वो
इसलिए आदमियत दिखाता है
जब टेस्टोस्टेरोन बढ़ता है
तब दर्द और जवान हो जाता है
जितना जवान होता है
उतना बूढ़ा कर देता है
मुस्कुराहटें छीन लेता है
दांत पीसने लगता है
भौहें चढ़ा देता है
चेहरे की लाली
आंखों में डाल देता है
फिर, अपने प्रियतम पर,
चिल्ला देता है…
(कवयित्री सुकृति गुप्ता हैं। आप इनसे sushilagupta2212@gmail.com पर मेल करके संपर्क कर सकते हैं)
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