-चंदा गुप्ता
कवि हेमंत स्नेही की पुस्तक पेटू बिल्ली का लोकार्पण करने हरिओम पवार हिंदी भवन पहुंचे थे
नई दिल्ली : आईटीओ स्थित हिंदी भवन में बुधवार 12 सितम्बर के दिन वरिष्ठ पत्रकार एवं कवि हेमंत स्नेही के द्वारा लिखित गीतात्तामक बाल कहानी संग्रह “पेटू बिल्ली” नामक पुस्तक का लोकार्पण किया गया। इसमें मुख्य अतिथि कवि शिरोमणि डॉ. हरिओम पवार जैसे कई कवि, साहित्यकारों के अलावा बड़ी संख्या में वरिष्ठ पत्रकार भी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम में ओज रस के कवि डॉ. हरि ओम पवार ने अपने तेज तर्रार शब्दों से श्रोताओं के भीतर जोश और ऊर्जा का संचार कर दिया। देश भक्ति से ओत प्रोत कविताओं से श्रोताओं के मन में देश भक्ति कि भावनाओं को मानो एक बार पुनः जगा दिया हो। वह कहते हैं, कि जब-जब उन्होंने अपनी कविता को सरकार के समक्ष प्रस्तुत किया या तो सरकारें गिरीं या उनकी कविता से देश में क्रांति का सैलाब उमड़ पड़ा।
अपनी कविता से डॉ. पवार ने शत्रु देशों को धूल चटाने से लेकर कश्मीर घाटी के आज़ादी तक की बात को दोहराया। उन्होंने कहा कि हम आज भी पाकिस्तान जैसे शत्रु देश को मुह तोड़ जबाब नहीं दे पाए हैं। हम आज भी शत्रु देशों के लाख अन्याय के बाद भी गाँधी के अहिंसा के सिद्धांत पर चल रहे है। 1971 के बाद से आज तक एक भी सरकार दुश्मन देश पाकिस्तान को हमारी शक्ति का ठीक तरह से आभास नहीं करा पाई है। पाकिस्तान आज भी हमारी शक्ति से भयभीत नहीं होता हैं। उल्टा आए दिन किसी न किसी तरीके से हमारे देश को क्षति पहुँचाने कि योजना बनाता रहता है ।
प्रत्येक देश आज़ादी के लिए कुर्बानी मांगता है। उन्होंने कहा कि “जिसको आजाद होना है उसको मरना आना चाहिए”। अब एक बार फिर से दुनिया को आतंकवाद और शत्रु देशों के चंगुल से छुडाने का वक़्त आ गया है। इस क्रम में उन्होंने इजराइल जैसे देश से सीखने की बात कही। छोटा देश होते हुए भी इजराइल ने सारे देशों में अपना लोहा मनवाया हैं और सर उठा के विश्व में अपनी जगह बनाई है।
इलेक्ट्रानिक मीडिया देश के लिए बहुत बड़ा खतरा
फोरम4 से विशेष बातचीत में डॉ. पवार ने कश्मीर मुद्दे को लेकर कहा कि “कश्मीर को दान करो या युद्ध करो”। यहीं नहीं उन्होंने प्रिंट मीडिया की तारीफ करते हुए इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को लेकर अपना रोष प्रकट किया और कहा कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने आज देश की संस्कृति को खत्म कर दिया। इसने आज तक भूख, गरीबी, कुपोषण भाषा और अन्य समस्याओं को लेकर कभी डिबेट नहीं कराई। साथ ही उन्होंने सुप्रीम कोर्ट यानी कानून के क्षेत्र में हिंदी को कोई जगह न मिलने पर भी चिंता जताई ।
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