हाँ मैं पत्थर हूं,
जिसे पैरों से मारा गया,
नेताजी की गाड़ी पर
फेंका गया लोकतंत्र पर हमला हूं,
मैं ही सेना पर फेंका गया
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हूं,
हाँ मैं पत्थर हूं।
मंदिर में मैं पूजा गया
बच्चों का खिलौना भी हूं,
काँच को तोड़ा भी है
महलों को बनाया भी है,
क्योंकि मैं प्रकृति का अंग हूं,
हाँ मैं पत्थर हुँ।
मिट्टी से बनाया गया हूं
मिट्टी मेरा अंत भी है,
जानता हूं इस बात को
इसलिए न कोई घमंड है
सबका प्यार, दुत्कार सहता हूं
हाँ मैं पत्थर हूं।
Be the first to comment on "हां मैं पत्थर हूं"