प्रेम खुद को खुद से पहचानने का एक नजरिया है
प्रेम आपके अंदर का विश्वास जगाने का जरिया है
सन्तान जो अपने माँ – बाप से प्रेम करता है,
ऊपर वाला उसका जीवन खुशियों से भरता है।
जिसे प्रेम अपने भाई- बहनों से अपार होता है,
कितने भी संकट आ जाए धैर्य नहीं खोता है।
प्रेम दिल के बगिया की प्यारी से फुलवरिया है,
प्रेम आपके अंदर का विश्वास जगाने का जरिया है।
प्रेम अगर ईश्वर से हो तो सूरदास बन जाते हैं,
प्रेम अगर विद्या से हो कालिदास बन जाते हैं।
मित्र सुग्रीव का प्रेम राजा राम का अभिमान है,
मित्र कृष्ण ने अर्जुन को दिया गीता ज्ञान है।
सुदामा के मित्र प्रेम की मिसाल सवारियां है,
प्रेम आपके अन्दर का विश्वास जगाने का जरिया है।
आज़ाद , भगत सिंह देश प्रेम की मिसाल हैं,
मातृभूमि को शीश चढ़ाते भारती के लाल है।
किंतु सत्ता सुख का प्रेम खुद अंधा कर देता है,
अच्छी खासी चरित्र को भी वो गंदा कर देता है।
मुझे तो सबसे प्यारी मेरी साहित्य की नगरिया है,
प्रेम आपके अन्दर का विश्वास जगाने का जरिया है।
प्रेम खुद को खुद से पहचानने का एक नजरिया है।
-पूजा वर्मा
Splendid thought poem pu
Very nice sis#@
Very nice ?